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Animal Husbandry: प्रेग्नेंट पशुओं की किस तरह करें देखरेख, इन 7 प्वाइंट्स में पढ़ें

milk production
गाय-भैंस की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुओं की देखभाल करना बहुत ही जरूरी होता है. जब मौसम बदले तो उनकी देखभाल मौसम के हिसाब से की जाती है. वहीं पशु जब प्रेग्नेंट होते हैं तो उनकी केयर उसी हिसाब से की जाती है. ताकि पैदा होने वाला बच्चा ​हैल्दी पैदा हो और इसके बाद पशु ज्यादा से ज्यादा दूध का प्रोडक्शन करे और डेयरी कारोबार से ज्यादा मुनाफा मिल सके. एक्सपर्ट का कहना है कि जब पशु प्रेग्नेंट हों तो उनकी देखरेख में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. वहीं बछड़ा-बछड़ी पैदा होने के बाद भी पशुओं को देखभाल की जरूरत होती है.

आपको इस आर्टिकल में पशु जब प्रेग्नेंट होता है तब और बच्चा होने के बाद उसका किस तरह से ख्याल रखना है, इसके बारे में जानकारी दी जा रही है. ये सलाह एक्सपर्ट द्वारा दी गई है.

प्रेग्नेंसी के दौरान पशु की देखरेख

  1. प्रसव के लक्षण दिखाई देने के बाद अन्य पशु से अलग कर देना चाहिए. उसके रहने का स्थान साफ सुथरा, हवादार, और बिना फिसलने वाला होना चाहिए.
  2. ब्याने के एक दिन पहले गाभिन पशु की योनि से लेसेदार द्रव्य का स्त्राव होता है. ऐसे में पशु को बगैर कोई दिक्कत पहुंचाए हर घंटे रात के समय भी देखें.
  3. जहां तक हो सके प्रसव के समय पशु के आसपास किसी प्रकार का शोर नहीं होने देना चाहिए. पशु के पास किसी गैरजरूरी इंसान को भी नहीं जाने देना चाहिए.
  4. जल थैली दिखने के एक घंटे बाद तक यदि बच्चा बाहर न आए तो बच्चे को निकालने में पशु की मदद के लिए पशु चिकित्सक की मदद लें.
  5. जैसे बच्चा बाहर आ जाए उसे पशु को चाटने देना चाहिए ताकि उसके शरीर में लगा श्लेषमा सूख जाये. जरूरत हो तो साफ नरम तौलिये से बच्चे को साफ कर दीजिए.
  6. प्रसव के बाद जेर गिरने का इंतजार करना चाहिए. आमतौर पर 6 से 8 घंटे में जेर गिर जाता है. जैसे जेर गिर जाए उसे उठाकर जमीन में गड्ढा खोद कर दबा देना चाहिए. ताकि जेर को पशु न खाने पाएं. समय पर जेर न गिरने पर पशु चिकित्सक से सम्पर्क करके उसे निकलवा लेना चाहिए.
  7. प्रसव के बाद पशु के जननांग, पिछला भाग तथा पूंछ को अच्छी प्रकार से साफ करके गुनगुने पानी से धो देना चाहिए. इसके बाद पशु को गुड़ और नमक गर्म पानी के साथ दिन में दो बार देना चाहिए.

प्रसव के बाद पशु की देखभाल
पशु के ब्याने के बाद अगर सावधानी नहीं रखी गई तो पशुओं को जनन सम्बंधी रोग हो सकते हैं. प्रसव के बाद पशु की देखरेख अच्छी तरह होनी चाहिए. ताकि किसी प्रकार का जनन रोग उत्पन्न न हो, दूध देने की क्षमता बनी रहे. पशु समय पर गर्मी में आकर गाभिन हो. आमतौर पर प्रसव के बाद पशु में जो बीमारियां होती हैं. उनमें से मुख्य है गर्भाशय का बाहर आना, जेर का रुकना, थनैला रोग इत्यादि. ऐसी स्थिति में पशुपालक भाइयों को चाहिए कि वे पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें तथा पशु का तुरन्त इलाज करवायें.

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