नई दिल्ली. कड़ाके की सर्दी का दिन अभी चुका है यानि जनवरी का महीना गुजर गया, अब फरवरी का महीना शुरू हो गया है. जिसमें मौसम बड़ा ही सामान्य ऐसा होता है. इस महीने में न तो सर्दी महसूस होती है ना ही ज्यादा गर्मी का एहसास होता है. जबकि मौसम में बहुत जल्दी-जल्दी बदलाव महसूस किया जाता है. दिन और रात के मौसम में बहुत अंतर होता है. यही वजह है कि इस महीने में पशुओं की खास देखभाल करने की जरूरत होती है. पशुपालकों को चाहिए की खास तौर पर गाभिन, छोटे बच्चों और बीमार पशुओं की ज्यादा देखभाल करें.
इस दौरान होती पशुओं की खरीद-फरोख्त
गौरतलब है कि जबकि इस महीने में पशुओं की खरीद फरोख्त भी खूब होती है. ऐसे में अगर कोई पशु बेचना चाहे और पशु बीमार है तो उसे सही दाम नहीं मिलेगा. बीमार होने पर पशु दूध भी कम देने लगते हैं. जिसका भी नुकसान पशुपालकों को होता है. हालांकि कुछ एहतियात अगर बढ़रती जाए तो इस परेशानी से निजात पाई जा सकती है. इतना ही नहीं पशुपालक होने वाला आर्थिक नुकसान को भी बचाया जा सकता है. इसके अलावा पशु हेल्दी रहेंगे तो बेचने के दौरान पशु पालक को उसका वाजिब दाम भी मिलेगा. आइए अगले पैरा में जानते हैं कि पशुओं का किस तरह से ख्याल रखना है.
पशु पालक क्या करे
पशु और उसे रखने वाले बाड़े की हर दिन बेहतर तरीके से साफ सफाई करनी चाहिए. पशु को दिन में धूप तो रात में गर्म जगह पर रखना चाहिए. जैसे ही पशु गर्मी में आएं तो उसे उत्तम नस्ल के सांड या एआई से गाभिन जरूर करवा दें. पशु 3 महीने का गाभिन हो तो पशु चिकित्सक से उसकी जरूर जांच करवाएं. बच्चा देने वाले पशु को दूसरे पशुओं से अलग रखना उचित होगा. डॉक्टर की सलाह पर गाय, भैंस, बकरी के बच्चों को पेट के कीड़ों की दवा जरूर पिलानी चाहिए. पशुओं को थनेला रोग से बचाने के लिए पूरा दूध निकाल लेना चाहिए. भेड़ और बकरियों को टीका जरूर लगवा देना चाहिए.
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