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Dairy Animal: भैंस की सेहत और दूध उत्पादन के लिए जरूरी हैं ये पांच तत्व, जानें कैसे होती है जरूरत पूरी

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Livestockanimalnews

नई दिल्ली. हर पशुपालक की ये ख्वाहिश होती है कि उनका पशु सेहतमंद रहे और उसका उत्पादन बेहतर हो. इसके लिए वो लाख जतन करते हैं. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं की अच्छी सेहत और बेहतर उत्पादन के लिए पशुओं की अच्छी डाइट का ख्याल रखना बेहद ही जरूरी होता है. तभी फायदा मिलता है. एक्सपर्ट के मुताबिक पशुओं की डाइट में रासायनिक संरचना के मुताबिक, कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज लवण भोजन के प्रमुख तत्व हैं. डेयरी पशु शाकाहारी होते हैं इसलिए ये सभी तत्व उन्हें पेड़ पौधों से, हरे चारे या सूखे चारे या फिर दाने से हासिल करना होता है.

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि किस सोर्स से पशुओं को कौन से पोषक तत्व मिलते हैं और इसकी क्या जरूरत है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें, जो आपके डेयरी व्यवसाय के लिए बेहद ही अहम है. आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.

कार्बोहाइड्रेट: शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं. इसकी मात्रा पशुओं के चारे में सबसे अधिक होती है. यह हरा चारा, भूसा, कड़वी तथा सभी अनाजों से प्राप्त होता है.

प्रोटीन: प्रोटीन शरीर की संरचना का एक प्रमुख तत्व है. यह हर कोशिका की दीवारों तथा आंतों की संरचना का प्रमुख घटक है. शरीर की ग्रोथ, गर्भ में शिशु की ग्रोथ, दूध उत्पादन के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है. कोशिकाओं की टूट-फूट की मरम्मत के लिए भी प्रोटीन बहुत जरूरी है. पशु को प्रोटीन मुख्य रूप से खल, दालों तथा फलीदार चारे जैसे बरसीम, रिजका, लोबिया, ग्वार आदि से प्राप्त होती है.

वसा: पानी में न घुलने वाले चिकने पदार्थ जैसे घी, तेल इत्यादि वसा कहलाते हैं. कोशिकाओं की संरचना के लिए वसा एक जरूरी तत्व है. यह स्किन के नीचे या अन्य स्थानों पर जमा होकर, ऊर्जा के भंडार के रूप में काम आती है. साथ ही भोजन की कमी के दौरान उपयोग में आती है. पशु के आहार में लगभग 3-5 प्रतिशत वसा की आवश्यकता होती है जो उसे आसानी से चारे और दाने से प्राप्त हो जाती है. इसलिए इसे अलग से देने की जरूरत नहीं होती. फैट के मुख्य सोर्स-बिनौला, तिलहन, सोयाबीन व विभिन्न प्रकार की खलें हैं.

विटामिन: शरीर की सामान्य क्रियाशीलता के लिए पशु को विभिन्न विटामिनों की जरूरत होती है. ये विटामिन उसे आमतौर पर हरे चारे से पर्याप्त मात्रा
में उपलब्ध हो जाते हैं. विटामिन ‘बी’ तो पशु के पेट में उपस्थित सूक्ष्सू बैक्टीरिया द्वारा पर्याप्त मात्रा में जोड़ता होता है. अन्य विटामिन जैसे ए, सी, डी, ई तथा के, पशुओं को चारे और दाने द्वारा मिल जाते हैं. विटामिन ए की कमी से भैंसो में गर्भपात, अंधापन, चमड़ी का सूखापन, भूख की कमी, गर्मी में न आना तथा गर्भ का न रूकना आदि समस्यायें हो जाती हैं.

खनिज लवण: खनिज लवण दांतों की संरचना के मुख्य भाग हैं और दूध में भी काफी मात्रा में स्रावित होते हैं. ये शरीर के एन्जाइम और विटामिनों के निर्माण में काम आकर शरीर की कई महत्वपूर्ण क्रियाओं को करते हैं. इनकी कमी से शरीर में कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं. जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम, क्लोरीन, गंधक, मैग्निमै शियम, मैंगमैंनीज, लोहा, तांबा, जस्ता, कोबाल्ट, आयोडीन, सेलेनियम इत्यादि शरीर के लिए आवश्यक प्रमुख लवण हैं. दूध उत्पादन की अवस्था में भैंस को कैल्शियम तथा फास्फोरस की अधिक आवश्यकता होती है. प्रसूति काल में इसकी कमी से दुग्ध ज्वर हो जाता है तथा बाद में दूध उत्पादन घट जाता है और प्रजनन दर में भी कमी आती है. जबकि कैल्शियम की कमी के कारण गाभिन भैंसें फूल दिखाती हैं. क्योंकि चारे में उपस्थित खनिज लवण भैंस की आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते इसलिए खनिज लवणों को अलग से खिलाना जरूरी है.

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