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Animal Disease: जानिए कैसे करें अपने बीमार पशु की पहचान, संक्रमण से बचाने के लिए करें ये इंतजाम

बकरी के चेचक की बीमारी को लेकर तीन से चार महीने की उम्र पर इसके बाद एक महीने के बाद बूस्टर टीका और फिर हर साल यह टीका लगाया जाता है.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. यह बात बिल्कुल सच है कि देशभर में संक्रामक रोगों की वजह से हर साल बड़ी संख्या में पशुओं की मौत हो जाती है. ज्यादातर पशुओं की मौत बीमारी के शिकार होने की वजह से होती है. इसके अलावा उनका दूध उत्पादन कम हो जाता है, जिससे पशुपालक को नुकसान उठाना पड़ता है. पशु बीमार होता है और पशुपालक समझ नहीं पाता. बाद में जब पता चलता है तब तक बीमारी बढ़ जाती है और इसके चलते उनकी मौत हो जाती है. लिहाजा पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. थाेड़ी सी जानकारी से पशुओं को बचाकर मुनाफा कमाया जा सकता है.


पशु विशेषज्ञों का कहना है की प्रमुख संक्रामक बीमारी के उपचार की अपेक्षा टीकाकरण सबसे सस्ता और कारगर उपाय होता है. रोग हो जाने पर बीमार पशु को अलग रखना चाहिए. उपचार देने में जरा सी भी देरी नहीं होनी चाहिए. जबकि रोग ग्रसित पशुओं को धुएं नहीं देना चाहिए. संक्रमित पशुओं को खुले स्थान पर रखना चाहिए. जिससे कि दूसरे पशुओं में संक्रमण न फैले. ऐसा करेंगे तो पशुओं को बीमार होने और पशु पालकों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है.

भेड़-बकरियों का ऐसे रखें ख्याल: भेड़-बकरी में भी अनेक तरह के रोग होते हैं. जिसके कारण पशु पालकों का आर्थिक नुकसान होता है. कई बार अन्य रोग ग्रस्त पशुओं से भी दूसरे स्वस्थ पशुओं में यह रोग फैल जाता है. ऐसे में पशुपालक को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. खास तौर पर भेड़ बकरियां में पोषण की कमी न होने देना चाहिए. एक स्थान पर अधिक संख्या भेड़ बकरियों के चरने से न केवल घास समाप्त हो जाती है, बल्कि उनके मलमूत्र से चारागाह भी दूषित होता है. जिस वजह से परजीवियों का संक्रमण बढ़ जाता है, जो दस्त और अन्य रोगों को जन्म देते हैं.

बीमार होने की पहचान इस तरह करें: पशु की गति चाल व्यवहार और हाव-भाव में परिवर्तन हो जाता है. वहीं चारा ना खाना भी उनके बीमार होने की पहचान है. जुगाली न करना अन्य पशुओं से अलग रहना भी बीमारी के लक्षण हैं. जबकि दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है, आंखों से कीचड़ आता है. मदचक्र समय पर नहीं आता है. लंगड़ा कर चलते हैं. आंख का नाक मुंह से द्रव्यों का बहाव होता है. यदि इस तर का कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत समझ जाना चाहिए कि पशु बीमार हो गए हैं. वक्त रहते इलाज हो जाने पर उनकी बीमारी ठीक की जा सकती है.

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Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

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