Home मछली पालन Fish Farming: मछलियां बीमार हों तो करें इन 4 चार दवाओं का इस्तेमाल, इलाज का तरीका भी पढ़ें
मछली पालन

Fish Farming: मछलियां बीमार हों तो करें इन 4 चार दवाओं का इस्तेमाल, इलाज का तरीका भी पढ़ें

गर्मी में भी मछली के तालाबों में पानी का स्तर लगभग 6 फीट रखा जाना चाहिए. इससे निचले हिस्से में पानी का तापमान उपयुक्त रहता है.
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुपालन में पशुओं की बीमारी से पशुपालकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है. ठीक इसी तरह से मछली फार्मिंग में भी मछलियों को बीमारी का खतरा रहता है. मछलियां बीमारी की वजह मरने लग जाती हैं और मछलियों से होने वाला फायदा नुकसान में तब्दील हो जाता है. ऐसे में मछलियों को बीमारी से बचाने के लिए जरूरी है कि उसके लक्षण के बारे में पता हो तभी बीमारियों के असर को रोका जा सकता है. वहीं अगर रोकना संभव न हो तो इलाज करके मछलियों को हेल्दी बनाया जा सकता है.

इसके जरूरी ये है कि मछलियों के इलाज और दवा के बारे में जानकारी हो. इस आर्टिकल में हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं कि किस दवा से मछलियों का कैसे इलाज किया जा सकता है. इस खबर को डिटेल से पढ़ें. ताकि मछलियों की बीमारी की दवा के बारे में आपको जानकारी हो सके.

रोगनाशक दवा के बारे में पढ़ें
पोटाशियम परमैग्नेट- प्राथमिक उपचार के लिए यह सभी रोगनाशक दवा के रूप में प्रयोग में लाया जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि संक्रमित मछलियों को 0.1 से 3 मिलीग्राम प्रति लीटर के लिए 2-5 मिनट तक डुबाने से काफी अच्छा रिजल्ट मिलता है. इसका इस्तेमाल एक हफ्ते तक लगातार करना चाहिए.

नमक का घोल मछलियों के त्वचा के रोग तथा अन्य जीवाणु एवं फंफूदी के लिए नमक का घोल उपयोग में लाया जाता है. फिश एक्सपर्ट का कहना है कि इससे 0.1-3 मिलीग्राम प्रति लीटर घोल में 1-2 मिनट तक स्नान कराने से काफी लाभ होता है.

नीला थोथा या तूतिया (कॉपर सल्फेट) फंफूदी जनित बीमारियों के लिए तूतिया का उपयोग 0.1 से 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर की दर से 1-2 मिनट तक डुबोकर रखने से बेहद ही फायदा मिलता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इसे भी मछली पालकों को आजमाना चाहिए.

फॉर्मलीन- फॉर्मलीन का इस्तेमाल मछली की तमाम स्किन की बीमारियों के लिए बेहद ही अहम है. लेकिन कम तापमान पर यह मछलियों के लिए बेहद ही खतरनाक है. इसलिए इसका इस्तेमाल समझ बूझकर करना चाहिए.

मछली पालन ये भी जानें
तालाब के बांध पर क्या करें और क्या न करें इसकी जानकारी होना भी बेहद ही अहम है. तालाब के किनारे पेशाब या मल त्याग नहीं करना चाहिए. जहां तालाब में प्रयोग के लिए जैविक खाद बना रहे हों वहां भी, पेशाब अथवा मल त्याग करने से बचना चाहिए. तालाब में ना तो नहाये और ना ही बर्तन धोयें. तालाब के किनारे के बड़े एवं छायादार पेड़ों की छुट्टी करें.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

State Fisheries Officials provided updates on the status, progress, and key challenges in promoting inland saline and shrimp aquaculture.
मछली पालन

Fish Farming Scheme: मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने शुरू की योजना, पढ़ें इसके फायदे

जिससे इनका संरक्षण एवं संवर्द्धन के साथ-साथ मत्स्य उत्पादकता तथा किसानों के...

The Department of Fisheries organized the Startup Conclave 2.0 to promote innovation in the fisheries sector.
मछली पालन

Fish Farming: मछली के शरीर पर है लाल रंग का धब्बा तो हो जाएं अलर्ट, इस खतरनाक बीमारी का है ये लक्षण

इस रोग से प्रभावित होने वाली प्रमुख प्रजातियां गरई, भाकुर, रोहू, कवई,...

fish farming in pond
मछली पालन

Fish Farming Scheme: मछली पालन की इस योजना का फायदा उठाकर शुरू करनें अपना बिजनेस

बिहार सरकार की ओर से चलाई जा रही है तमाम योजनाओं में...