नई दिल्ली. पशुपालन के दौरान कई बार पशुपालकों को इस बात का भी सामना करना पड़ता है कि उनका पशु किसी वजह से विकलांग हो जाता है. किसी चोट के कारण या फिर जन्म से ही अगर वो विकलांग है तो उसे स्पेशल केयर की जरूरत होती है. अगर ऐसा न किया जाएगा तो पशुओं को बेहद ही परेशानी हो सकती है. उसे कई और बीमारियां लग जाती हैं. वहीं इससे पशु की मौत भी हो सकती है. इसलिए जरूरी है कि पशुओं का अतिरिक्त ख्याल रखा जाए और बीमार पशुओं को और ज्यादा दिक्कत न हो, पशुपालकों की तरफ से इसका ध्यान रखा जाए.
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल और आईवीआरआई इज्जतनगर बरेली के एक्सपर्ट की ओर इस बारे में कुछ सलाह भी दी गई है. एक्सपर्ट का कहना है कि पशु खड़ा होने में अक्षम हो, उसे बालू की बोरियों/भूसे की गांठों आदि के समर्थन से छाती की हड्डी के बल लेटने देना चाहिए. यह भी ध्यान दें कि काफी समय तक एक ही बगल से लेटने से सूजन (ब्लोट), उल्टी तथा घुटन हो सकती है जो कि पशुओं के बहुत नुकसानेदह है.
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पशुओं के ऊतकों को होने वाले नुकसान को कम करने तथा बेड अल्सर को रोकने के लिए पशु को प्रत्येक 2-3 घंटे में एक ओर से दूसरी ओर पलटना चाहिए.
लाचार लेटे हुए पशुओं को खड़ा होने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. स्लिंग और हिप क्लेम्प के लिए प्रावधान होना चाहिए. यदि हिप क्लेम्प का उपयोग पशु की सहायता के लिए किया जा रहा है तो उन्हें अच्छी तरह पैडयुक्त होना चाहिए.
मालिश करने तथा चलने में सहायता करने से इस्कीमिक मॉयोनेक्रोसिस को रोकने में मदद मिलती है.
नियमित ग्रूमिंग तथा हल्की एक्सरसाइज करवाने से पशुओं को स्वस्थ रखने में सहायता प्रदान की जा सकती है.
अशक्त पशुओं के लिए फ्लोटिंग तालाब की व्यवस्था की जानी चाहिए तथा पशुओं को इन फ्लोटिंग टैंक में रोजाना 6-8 घंटे तैरने दिया जाना चाहिए.
जल्दी से रोग निदान के लिए पशुचिकित्सकों द्वारा पशुओं की जांच की जानी चाहिए और पशुओं की अशक्तता के प्राथमिक कारणों के उपचार से उनमें होने वाले सेकेंडरी ट्रॉमा तथा दर्द को जल्दी से कम किया जा सकता है.
दर्द को खत्म करने के लिए कोशिश की जानी चाहिए. ताकि दर्द कम हो सके.
पशुओं में सुधार के लिए 2-4 घंटे के अंतराल पर उनका आकलन करना चाहिए. यदि कोई सुधार नहीं हो रहा हो तो रोग निदान का फिर से आकलन करना चाहिए.
दुधारू पशुओं का नियमित तौर पर दूध निकालना चाहिए ताकि उनमें स्तन में होने वाला संक्रमण न हो पाए.
अशक्त पशुओं के लिए पर्याप्त जगह की व्यवस्था की जानी चाहिए, जहां वे चल फिर सकें.
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