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Animal Husbandry: भैंस बीमार है तो किस तरह देना चाहिए खाना, क्लिक करे जानें यहां

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प्रतीकात्मक तस्वीर: Livestockanimalnews

नई दिल्ली. अगर भैंस रोग ग्रस्त हो जाए तो उसे उसका तुरंत इलाज करना जरूरी होता है. यदि समय पर इलाज नहीं हुआ तो उत्पादन भी घटेगा और पशु की मौत भी हो सकती है. वहीं पशु को स्वस्थ करने और उचित स्वास्थ्य उत्पादकता को फिर से हासिल करने के लिए रोग ग्रस्त भैंस को आहार देना महत्वपूर्ण होता है. जो बदले में किसानों को फायदा पहुंचाता है. रोगी पशुओं को भोजन देने से पहले या राशन में कड़वी या अस्वादिष्ट दवाई नहीं देनी चाहिए. वहीं बीमार जुगाली करने वाले पशुओं को खाने के लिए लुभाने का सामान्य तरीका विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थ देना है.

भैंस को देना चाहिए रसीली घास
एक्सपर्ट कहते हैं जो भैंस थोड़ी बीमार होती है, उन्हें कभी-कभी ताजी कटी हुई रसीली घास देकर खाने के लिए ललचाया जा सकता है. ताजी घास बहुत स्वादिष्ट होती है यदि दर्दनाक मौखिक या ग्रसनी घाव मौजूद है तो संपूर्ण आहार को मैस करके बनाया गया, मीठा सूप खिलाया जा सकता है. कुछ मीठा करने वाले पदार्थ जैसे गुड़ या गुड़ को आहार के साथ मिलकर दिया जा सकता है. भूख बढ़ाने के लिए कुछ रासायनिक हर्बल उत्तेजक जैसे हिमालयन बत्तीसा खिलाया जा सकता है.

आहार में नमक मिलाने का फायदा
आहार में 0.2 0.5 फ़ीसदी नमक मिलाने से स्वाद बढ़ता है और सेवन करने की क्षमता भी. विटामिन बी का सेवन को प्रोत्साहित करने से उपयोगी होता है. ऊर्जा और प्रोटीन घनत्व बढ़ाने के लिए सोयाबीन या मूंगफली के भोजन, वनस्पति तेल, प्रोपलीन ग्लाइकोल और कैसिइन मिलाया जा सकता है. यदि कोई जानवर खाना खाने में असमर्थ है. मुंह या फिर मांसपेशियों में कोई दिक्कत है तो उसका जीआई कार्य समान्य है तो उसे पेट की नाली के माध्यम से गोल के रूप में पूरक पोषक तत्व दिया जा सकता है.

गर्भधारण करने वाली भैंस को दवा कैसे दें
गंभीर दस्त से पीड़ित भैंस को अक्सर अंत शीला पोषण की आवश्यकता होती है. किसी अन्य जानवर के रुमेन ट्रांसपोर्टेशन उन जानवरों के लिए सहायक हो सकता है जिन्हें खाना नहीं दिया गया है. या जो अनाज की अधिकता जैसे विशाल अपमान का सामना कर रहे हैं. वहीं गर्भधारण करने वाली भैंसों को सावधानी संभाला जाना चाहिए और जबरदस्ती मौखिक दवा देने से बचना चाहिए. भैंसों को जो चारगाह में पाली जाती हैं, क्योंकि उनमें तनाव गर्भपात की संभावना होती है. यदि संभव हो तो उस समय दवाई चारे या पानी में दी जानी चाहिए. बीमारी के दौरान कम शुष्क पदार्थ सेवन डीएमआई की भरपाई के लिए आहार में पोषक तत्वों की सांद्रता डीएम सेवन आधार पर बढ़ाई जानी चाहिए.

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