नई दिल्ली. तालाब में मछली पालन के दौरान जालीय वनस्पतियां तालाब में मौजूद पोषक तत्वों और तालाब की उत्पादकता को कम कर देती हैं. पानी वाले पौधे मछली के दुश्मन होते हैं. यह तालाब के ऑक्सीजन के संतुलन को भी बेहद प्रभावित करते हैं. यही नहीं मछली तैयार होने पर जाल चलाने में भी परेशानी पैदा करते हैं. अगर यह पौधे बहुत ज्यादा हो गए तो सूरज की रोशनी तालाब की ताली तक नहीं पहुंच पाती है. जिससे मछलियों की बाढ़ प्रभावित होती है.
इसलिए मत्स्य पालन के पहले जालीय वनस्पतियों यानी जल वाले पौधे का को खत्म देना चाहिए. तालाब में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जालीय पौधे हैं. जिसमें मुख्यतः तीन वर्गों में बांटा जा सकता है. सतह पर तैरने वाले पौधे, पानी में डूबे पौधे और तालाब के किनारे और गहरे जल में पाए जाने वाले पौधे.
3 किस्म के पौधे होते हैं
जो जलीय पौधे सतह पर पाए जाते हैं उसमें जलकुंभी, पिस्टिया, लेमना पालीराजा, लेमना माइनर, बेल्फिया एजोला आदि श्रेणी में आते हैं. जबकि पानी में डूबे रहने वाले पौधों की बात की जाए तो शैवाल ओटेलिया, वैलिस्नेरिया, ड्राईड्रीला, सिरेटोफाइलम, लैंगरोसिफोन, कारा और अन्य जो सतह से नीचे तक रहते हैं. वहीं तालाब के किनारे उथले और गहरे जल पानी में पाए जाने वाले जड़दार पौधे जिसमें लिमैथियम, आइयोमिया, पुसिया, मार्सिलिया कमल आदि.
छोटे तालाब में कैसे करें सफाई
अगर इन पौधों को खत्म करना है तो किसी मशीन या हाथ से निकाला जा सकता है. ये विधि छोटे तालाब में के लिए काम में लाई जाती है. मजदूरों द्वारा हाथ से जालीय वनस्पति की सफाई की जाती है. किसी मशीन में मजदूरों द्वारा हाथ या कंटीले तारों की मदद से जल में पौधों की सफाई की जाती है. आजकल मशीन भी वनस्पतियों की सफाई के लिए उपलब्ध है.
रसायिक दवाओं का भी कर सकते हैं इस्तेमाल
रसायनिक खरपतवार नाषक दवाओं से भी इन्हें खत्म किया जा सकता है. या विधि बहुत ही प्रभावशाली है. इसका उपयोग अधिक जल स्रोतों वाले तालाब में किया जाता है. रासायनिक विधि में जालीय वनस्पतियां मारकर तालाब की तली पर बैठ जाती है और कार्बनिक खाद के रूप में काम करती है. तालाब के उत्पादकता को बढ़ाती हैं. कभी-कभी ज्यादा मात्रा में जल पौधों के मरने से इसके कारण पानी में ऑक्सीजन की कमी भी हो जाती है.
जैविक नियंत्रण विधि क्या है
तालाब में अक्सर पानी में डूबी हुई वनस्पतियां हाइड्रीला, नाजा, सेरेटोफाइलम देखने को मिलता है. यह सभी जलीय पौधे ग्रासकार्प भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं. ग्रॉसपकार्प मछली जैविक नियंत्रण में बहुत उपयोगी है. ग्रासकॉर्प के 200 मिलीलीटर या इसे बड़े साइज के मत्स्य संचयन करना उपयुक्त है. पानी की सतह पर तैरने वाली वनस्पतियां जैसे लेमना एजाला, स्पायरोडेला आदि को भी ग्रहण करते हैं.
इस सारिणी में किस वनस्पति नाषक का कितनी मात्रा में किन वनस्पतियों पर इस्तेमाल करना है, इसके बारे में जानकारी दी गई है.
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