नई दिल्ली. पशु एक्सपर्ट हमेशा ही पशुपालकों को ये सलाह देते हुए नजर आते हैं कि पशुओं को बीमार होने से बचाएं. यही वजह है कि कहा जाता है कि उपचार से उत्तम बचाव है. वैसे तो ये बात आम इंसानों के लिए कही गई है लेकिन ये कहावत पशुओं पर भी लागू होती है, क्योंकि पालतू पशुओं में होने वाले रोग पशुपालन पर काफी आर्थिक बोझ डालते है. इसलिए उचित एवं नियमित टीकाकरण पशुओं को स्वस्थ एवं उत्पादनशील बनाए रखने में मदद करता है. पशुओं में टीकाकरण उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों से लड़ने की उनकी शक्ति को बढ़ा देता है.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि टीकाकरण कार्यक्रम को अपनाने से बीमारियों से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है. पालतू पशुओं में संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण सर्वोत्तम तरीका माना जाता है.
टीकाकरण के लाभ
(1) पशुओं में होने वाली बीमारियों से बचाव.
(2) पशुओं में होने वाली महामारी से बचाव.
3) पशुओं से मनुष्यों में होने वाली संक्रामक बीमारियों का बचाव.
(4) बीमारियों के इलाज से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाव.
(5) पशु से होने वाले और फूड से होने वाली बीमारियों से इंसानों का बचाव.
(6) किसानों की पशुपालन में कम लागत से अधिक बचत.
टीकाकरण के वक्त इन बातों पर दें ध्यान
(1) पहला टीकाकरण केवल स्वस्थ पशुओं में ही करना चाहिए.
(2) टीकाकरण से न्यूनतम दो सप्ताह पहले पशुओं को कृमिनाशक दवांए जरूर देना चाहिए.
(3) टीकाकरण के समय पशुओं की हेल्थ उत्तम होना चाहिए. रोगी एवं दुर्बल पशुओं का टीकाकरण न करें.
(4) टीकाकरण रोग फैलने के संभावित समय से करीब 20-30 दिन पहले करना चाहिए।
(5) उचित शीत श्रृंखला का पालन किए हुए टीकों से ही टीकाकरण करना चाहिए।
(6) प्रभावी टीकाकरण के लिए झुण्ड के ज्यादातर पशुओं का टीकाकरण करना आवश्यक होता है.
(7) गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण नहीं करना चाहिए. हालांकि कुछ बीमारियों में अंतिम अवस्था में टीकाकरण अनुमोदित है.
(8) टीकाकरण का रिकार्ड रखने के लिये हमेशा पशु स्वास्थ्य कार्ड बनाए.
(9) प्रत्येक जानवर के टीकाकरण के लिये अलग-अलग सूईयों का प्रयोग करें एवं प्रयोग किये गये सूई एवं सिरिंज को सुरक्षित रूप से मानक के अनुसार डिस्पोज करें.
वैक्सीनेश के फेल होने की वजह
अनुचित टीकाकरण समय, कम मात्रा एवं गलत मार्ग से टीकाकरण विफलता का मुख्य कारण है.
गलत मिश्रण से बचना चाहिए. टीकाकरण से पहले टीकों को अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए.
टीकों का भंडारण उचित तापमान पर नहीं होने से इसकी क्रियाशीलता कम हो जाती है.
टीकों की खराब गुणवत्ता टीकाकरण की फेल होने का कारण हो सकता है.
गलत समय पर टीकाकरण करने से कभी-कभी पशुओं के बच्चों में बहुत जल्दी टीकाकरण कर देने से माता द्वारा प्रदत्त एंटीबॉडी टीकों के असर को कम कर देती है.
वहीं पशुओं में बीमारी, दबाव, कमजोरी की अवस्था में टीकाकरण करने से भी फूल होने की संभावना होती है.
झुंड में कम पशु को टीकाकरण करने से झुंड की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. जिससे वैक्सीनेशन फेल हो जाता है.
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