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Animal Husbandry: इन चीजों की जानकारी नहीं है तो फिर हो सकता है पशुपालन में नुकसान, पढ़ें यहां

CIRB will double the meat production in buffaloes, know what is the research on which work is going on. livestockanimalnews animal Husbandry
बाड़े में बंधी भैंस. livestockanimalnews

नई दिल्ली. खेती-किसानी अलावा पशुपालन करके ग्रामीण इलाकों में किसान अच्छी खासी इनकम हासिल कर रहे हैं. हालांकि ये तभी संभव होता है जब किसानों को पशुपालन से जुड़ी तमाम जानकारी पशुपालको को होती है. पशुपालकों को अगर जानकारी नहीं होगी तो पशुपालन से फायदे की जगह नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. इसलिए एक्सपर्ट हमेशा ही कहते हैं कि पशुपालन से ज्यादा लाभ लेने के लिए पशुपालन सांइटिफिक तरीकों से करना चाहिए और एक्सपर्ट की राय लेकर अपने पशुओं का ख्याल रखना चाहिए. जरूरत पड़ने पर पशुपालक ट्रेनिंग भी ले सकते हैं.

एक्सपर्ट का कहना है कि पशु अक्सर बीमार हो जाते हैं. अगर पशु बीमार होते हैं तो इस दौरान कुछ लक्षण दिखाई देते हैं. ऐसे में अगर पशुपालक उनकी पहचान कर लेते हैं तो जल्दी से कम पैसों में इलाज हो जाता है और दूध उत्पादन पर भी इसका असर नहीं पड़ता है. हालांकि मामला ज्यादा गंभीर हो जाने पर दवा-इलाज में पेसा भी लगाना पड़ता है और फिर पशुओं का प्रोडक्शन भी प्रभावित होता है. जरूरी ये भी कि पशुओं को संक्रामक रोगों से भी बचाया जाए. परजीवियों के प्रति लापरवाही न बरती जाए.

बीमार पशुओं की पहचान करना बेहद ही जरूरी है
एक्सपर्ट का कहना है कि पशु बात नहीं कर सकते, लेकिन वे संवाद करते हैं. देर से उपचार करने पर पशुओं के प्रोडक्शन पर असर पड़ता है. इसलिए उनके संवाद की पहचान करना बेहद ही जरूरी है. एक बीमार पशु में रोग के लक्षणों में से एक या एक से अधिक दिखाई देते रहते हैं. अगर पशु बीमार नजर आए, उनकी ​चाल ढाल में फर्क नजर आए तो पशु चिकित्सकों से सलाह ली जा सकती है.

संक्रामक रोगों से बचाएं
संक्रामक रोग पशुधन की मृत्यु होने वाले मुख्य कारणों में से एक है. संक्रामक रोग साल के दौरान नियमित समय पर महामारी के रूप में पशुओं की जान ले लेते हैं. इसलिए जरूरी है कि वैक्सीनेश कराया जाए. एक्सपर्ट द्वारा बताए गए तरीकों और समय पर वैक्सीन लगवाना पशुओं के लिए बेहद ही अहम है. ऐसा करने से पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाया जा सकता है.

परजीवियों के प्रति लापरवाही न बरतें
पशुओं में बाहरी परजीवियों की वर्ष भर होने वाली समस्या है जिसे कृमिनाशकों से कंट्रोल करना चाहिए. पशुओं के खून, आंतरिक अंगों (आँतों, यकृत, आमाशय और फेफड़ों) और त्वचा पर अनेक जीव, कीड़े और कृमि रहते अपनी जगह बना लेते हैं. ये परजीवी पशुओं की उत्पादकता पर असर डालते हैं. इसलिए हर पशुपालक को पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार इन परजीवियों से अपने पशुओं की हिफाजत करनी चाहिए. वरना नुकसान बड़ा हो सकता है.

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