नई दिल्ली. खेती-किसानी के अलावा पशुपालन भी देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा रोल अदा करता है. ग्रामीण क्षेत्रों में गाय पालन और भैंस पालन के सारे किसान अच्छी खासी आमदनी करते हैं. वहीं अब गायों में बकरी पालन भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. बकरी को गरीब किसानों की गाय कहा जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि गाय-भैंस के पालन के मुकाबले बकरी पालन की क्षेत्र में लागत कम है लेकिन मुनाफा ज्यादा है. यह वजह है कि गांव देहात में बकरी पालन की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है.
बकरियों की कई नस्ल है. इसमें से कुछ ऐसी बकरियों हैं जिनका व्यावसायिक तौर पर उपयोग कर सकते हैं. किसान कमजोर नस्ल की बकरियों का चुनाव कर लेते हैं. इसका भारी नुकसान उन्हें उठाना पड़ता है. उनके व्यवसाय में उन्हें घाटा भी होता है. ऐसे में किसानों को इस बात की जानकारी होना बेहद जरूरी है कि उन्हें किस नस्ल की बकरी पालन करें कि उन्हें मुनाफा हो.
जमुनापारी नस्ल
जमुनापारी नस्ल की बकरी अन्य बकरियों की तुलना में अधिक दूध देती है. इसकी देखभाल के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है. इस बकरी के मांस में अधिक प्रोटीन भी होता है. इसी के चलते इसके मांस की मांग बाजार में ज्यादा रहती है. इस पर अच्छी कीमत मिलती है.
बीटल नस्ल
जमुनापारी नस्ल के बाद बीटल नस्ल की बकरियों का पालन सबसे ज्यादा किया जाता है. इस नस्ल से पशुपालक 2 से 3 लीटर तक दूध रोजाना निकाल सकते हैं. इसके अलावा बाजार में इसका मांस भी अच्छी कीमत बिकता है. इसके चलते पशुपालक ठीक-ठाक मुनाफा हासिल कर लेते हैं.
उस्मानाबादी
इस नस्ल को पशुपालक भाई मांस व्यवसाय के लिए पलते हैं. बकरी के दूध के लिए इस नस्ल का पालन न करें. दूध देने की क्षमता इस बकरी में बहुत कम होती है. इस बकरी के पालन से मांस कारोबार बूस्ट कर सकता है.
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