नई दिल्ली. अगर कोई भी मछली पालन शुरू करना चाहता है तो शुरुआत में उसे 50 हजार रुपये तक का खर्च आ सकता है. जबकि मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई राज्य सरकारें किसानों की मदद कर रही हैं. क्योंकि मछली पालन एक फायदेमंद सौदा है इसलिए अगर कोई किसान शुरुआत में एक लाख रुपये लगाकर मछली पालन करता है और कोई दिक्कत नहीं आती तो 5 से 6 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकता है. आमतौर पर एक एकड़ के तालाब में मिश्रित मछली पालन करके करने के लिए 6000 से 8000 बीज संचित किए जाते हैं. मछली पालन में भी बीमारी इस व्यवसाय की दुश्मन है.
एक्सपर्ट कहते हैं कि मछलियां भी अन्य प्राणियों के समान प्रतिकूल वातावारण में रोगग्रस्त हो जाती हैं. रोग फैलते ही संचित मछलियों के स्वभाव में प्रत्यक्ष अंतर आ जाता है. फिर भी साधारण तौर पर मछलियां रोग-व्याधि से लड़ने में पूरी तरह से सक्षम होती है. हालांकि फिर भी मछलियों के बीमार होने पर अगर वक्त से इलाज न किया जाए तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं. इसके उत्पादन पर इसका असर पड़ता है. इस आर्टिकल में हम आपको बीमार मछलियों के लक्षणों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो किसी भी मछली पालक के लिए जानना बेहद ही जरूरी है. आपको जो लक्षण नीचे बताए जाएंगे इसमें मछलियों का उत्पादन रुक जाता है और उनकी मौत भी हो जाती है.
रोग ग्रस्त मछलियों के लक्षण क्या-क्या हैं
(1) बीमार मछली समूह में न रहकर किनारे पर अलग-थलग दिखाई देती है, वह षिथिल हो जाती हैं.
(2) बेचैनी, अनियंत्रित तैरती हैं.
(3) अपने शरीर को बंधान के किनारे या पानी में गड़े बाँस के ठूंठ से बार-बार रगड़ती रहती हैं.
(4) पानी में बार-बार कूद कर पानी को छलकाती रहती हैं.
(5) मुंह खोलकर बार-बार वायु अन्दर लेने का प्रयास करना भी बीमार होने की निशानी है.
(6) पानी में बार-बार गोल-गोल धूमना भी बीमार होने के लक्षणों में से एक है.
(7) अगर मछलियां खाना न खाएं तो समझ जाएं कि वो बीमार हैं.
(8) पानी में सीधा टंगे रहना, कभी-कभी उल्टी भी होना मछलियों के आम है.
(9) मछली के शरीर का रंग फीका पड़ जाता है. चमक कम हो जाती है तथा शरीर पर श्लेष्मिक द्रव के स्त्राव से शरीर चिपचिपा चिकना हो जाता है.
(10) कभी-कभी आँख, शरीर तथा गलफड़े फूल जाते हैं.
(11) शरीर की त्वचा फट जाती है तथा उससे खून लगता है.
(12) गलफड़े (गिल्स) की लाली कम हो जाना, उनमें सफेद धब्बों का बनना आम है.
(13) शरीर में परजीवी का वास हो जाता है.
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