नई दिल्ली. चारा हर तरह के पशु के लिए जरूरी है. खासतौर पर गर्मियों के दिनों में तो हरे की चारे की कमी हो जाती है. इसके चलते दिक्कतें बढ़ जाती हैं. बहुत से किसान इन्हीं सब समस्याओं की वजह से पशुओं को नहीं पालते हैं. गाय-भैंस हो या फिर बकरी पालन चारे की अहमियत होती ही है. बकरियों के लिए भी चारा उपलब्धता में कई तरह की समस्याएं होती हैं, जिनको अगर दूर कर लिया जाए तो फिर बकरी पालन और ज्यादा मुनाफे वाला कारोबार बन सकता है.
गोट एक्सपर्ट डोरी लाल गुप्ता एवं राजकुमार सिंह का कहना है कि बकरियां सामान्यत बेकार पड़ी जमीन, सड़क के किनारे नदी व नहर के किनारे चर कर चारा प्राप्त करती हैं. ऐसे में बकरी पालक को लगता है कि उनको प्रर्याप्त चारा मिल गया है. जबकि ऐसा नहीं है. इन जगहों पर चरने से बकरियों को समुचित मात्रा एवं गुणवत्ता में चारा नहीं मिल पाता है. जिससे कि किसान बकरियों से अच्छा उत्पादन नहीं ले पाते हैं. इसके अलावा बकरियों के लिए चारा उत्पादन में कई तरह की दिक्कतें भी हैं. आइए जानते हैं.
क्या-क्या परेशानी आती है
- बकरियों के चरने वाली जमीन बारिश के पानी पर आधारित होती है तथा हरे चारे की उलब्धता सिर्फ बरसात के महीनों में ही रहती है. जबकि गर्मियों में हरे चारे की बहुत कमी रहती है. इससे बकरियों को भरपूर चारा नहीं मिल पाता है.
- चराई वाली जमीनें ज्यादातर बेकार वनस्पतियों से भरपूर रहती हैं जिनको कि बकरियाँ नहीं खाती हैं. इस वजह से ऐसी चारागाहों बेकरियों के लिए बेकार ही मानी जाती हैं.
- भूमिहीन व सीमान्त किसान बकरियों के लिए चारे की खेती नहीं कर पाते हैं. इसके चलते उन्हें चारा खरीदना पड़ता है जो उन्हें महंगा पड़ता है.
- भूमि की दशा व जलवायु के अनुकूल चारा फसलों में प्रजातियों का अभाव है.
- गैर परम्परागत चारा स्रोतों का समुचित ज्ञान न होना भी चारे की कमी का कारण है.
- सिंचाई के संसाधनों का चारा फसलों में अभाव भी एक कारण है.
- चारा उत्पादन के अन्तर्गत अधिक क्षेत्रफल का न होना भी बड़ी समस्या है.
- निम्न कोटि चारा स्रोतों (भूसा इत्यादि) की गुणवत्ता वृद्धि और सम्बन्धी तकनीकों का अभाव भी एक दिक्कत है.
- चारा फसलों का बाजारी मूल्य न होने के कारण किसान कम रूचि लेते हैं. जबकि अच्छे और तय दाम मिलें तो फिर किसान चारे की फसल उगाएंगे.
- चारे के भंडारण के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता होने के कारण भण्डारण में भी समस्या होती है.
- चारे के पौष्टिक मान के प्रति किसानों को जानकारी न होना भी है.
- चारा फसलों के लिए प्रमाणीकृत बीजों का अभाव भी एक समस्या है.
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