नई दिल्ली. यह बात तो सभी पशुपालक जानते हैं कि पशुओं को हमेशा ही साफ पानी देना चाहिए. पशुओं को जो पानी दिया जा रहा है, उसमें यह ध्यान देना चाहिए कि पशु को दिए जा रहे हैं पानी में विषैला पदार्थ न हो. बीमारी पैदा करने वाले जीवाणु तथा विभिन्न प्रकार की परजीवियों के अंडे न हों. क्योंकि गंदा पानी पीने से पशुओं को कई तरह की बीमारी हो सकती है. जिसमें एथ्रेंक्स, गलाघोंटू, लंगडी और अपच जैसी बीमारियां भी शामिल हैं. पशु एक्सपर्ट कहते हैं कि गर्मियों में एक पशु को कम से कम तीन बार पानी पिलाना चाहिए. अगर पशु दिन में 5 लीटर दूध देता है तो उसे दिन भर 15 लीटर पानी पीने की जरूरत होती है.
अगर इतना पानी पशु को नहीं पिलाया गया तो उसकी दैनिक जरूरत पूरी नहीं होगी और इससे कई तरह की दिक्कतें भी होगी. आमतौर पर पशुपालक सोचते हैं कि पशुओं की पानी की जरूरत सिर्फ पीने के पानी से पूरी होती है, लेकिन यहां हम बताना चाहेंगे कि वह गलत हैं. पशुओं के शरीर में जितनी पानी की जरूरत होती है पीने के पानी के अलावा दो अन्य तरीके से भी पूरी की जा सकती है. एक्सपर्ट के मुताबिक आहार द्वारा और उपापचयी पानी के जरिए भी पशुओं के शरीर में पानी की जरूरत पूरी की जा सकती है. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.
पीने के पानी के जरिए- पशु अपनी आवश्यकता के मुताबिक अधिकांश भाग पानी पीकर पूरा करते हैं. अन्य स्रोतों से प्राप्त जल के बाद जो जरूरत रहती है उसे अपनी पशु पीने के पानी के जरिए पूरा कर लेते हैं. इसलिए जरूरी है कि पशु को समय-समय पर उनकी जरूरत के मुताबिक पानी दिया जाए. खास तौर पर गर्मी में पशुओं के शरीर में पानी की कमी न होने दिया जाए. इसका खास ख्याल पशुपालक रखें.
आहार के जरिए- पशुओं को जब रसदार हरे चारे प्राप्त होते हैं तो वह अपनी जरूरत का ज्यादातर पानी चारों द्वारा भी प्राप्त कर लेते हैं. शुष्क पशु यदि वर्षा ऋतु में हरी घासों पर निर्भर रहता है तो उनकी पानी की बहुत सी जरूरत इन्हीं चारों से पूरी हो जाती हैं. तब पशु बहुत कम पानी पीते हैं और उन्हें ज्यादा पानी की जरूरत भी नहीं होती है.
उपापचयी पानी क्या है- पशुओं के पानी की जरूरत उपापचयी जल से भी पूरी हो जाती है. शूगर के मेटाबोलिज्म से उनके भार का 60 प्रतिशत, प्रोटीन से 42 प्रतिशत तथा वसा से 100 प्रतिशत से भी अधिक पानी पैदा होता है. इसी तरह से प्रोटीन, वसा तथा शूगर के शरीर में सिंथेसिस से मेटाबोलिज्म से एक व्यक्ति जो 2400 कैलोरी ऊर्जा पैदा करता है, उसके शरीर में लगभग 300 मिली मेटोबोलिज्म जल उत्पन्न होता है. ज्यादातर पालतू पशुओं में उनकी आवश्यकता का 5-10 प्रतिशत तक जल उपापचय द्वारा प्राप्त होता हैं.
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