नई दिल्ली. मक्का की फसल को पशुपालन में चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इसके चारे में कार्बोहाइड्रेट व खनिज लवणों की मात्रा अधिक पायी जाती है. साथ में विटामिन ए व ई भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं. इसका साइलेज अच्छा बनता है. कम तापमान-कम ह्यूमिडिटी में इसका इजाफा अच्छा होता है लेकिन अधिक तापमान कम ह्यूडिटी में इसकी ग्रोथ रुक जाती है तथा पौधे जल जाते हैं. बताते चलें कि अन्य फसलाों की मक्का की फसल में पानी का अहम रोल होता है. अगर आप भी मक्का की फसल को पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं तो फिर इसमें पानी प्रबंधन कैसे किया जाए, ये जानना जरूरी है.
आपको बताते चलें कि अदलहनी फसलों में मक्का चारा फसल की बुआई करके पशुओं की चारे की कमी को पूरा किया जा सकता है. मक्का चारा फसल से सालभर पशुओं को चारा उपलब्ध कराया जा सकता है. एक्सपर्ट का कहना है कि पशुपालन में पशुओं के चारे पर 70 फीसदी तक का खर्च आता है. अगर पशुपालकों के पास भूमि है तो वहां पर मक्का की फसल की बुआई करके पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या को खत्म कर सकते हैं.
मक्का में जल प्रबंधन
-मक्का एक ऐसी फसल है, जो न सूखा सहन कर सकती है और न ही अधिक जल जमाव। अतः खेत में नालियां बुआई के समय ही तैयार कर लेनी चाहिये.
-इस प्रकार समय पर सही जल प्रबंधन हेतु खेत में जल पहुंचाया जा सकता है या खेत से जल को बाहर निकाला जा सकता है.
-सामान्य रूप से नालियों में रिजेज में दो तिहाई ऊंचाई तक ही सिंचाई जल भरना लाभदायक रहता है.
-मक्का में जल प्रबंधन मुख्य रूप से मौसम पर निर्भर करता है. खरीफ ऋतु में मानसूनी वर्षा सामान्य रहने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है.
-जरूरत पड़ती तो पहली सिंचाई बहुत ही ध्यान से करनी चाहिए, क्योंकि अधिक सिंचाई से पौधों की बढ़वार रुक जाती है.
-सिंचाई की मद्देनजर नई पौध, घुटनों तक की ऊंचाई, फूल आने तथा भुट्टे में दाने भराव की अवस्थाएं सबसे संवेदनशील होती हैं.
-इन अवस्थाओं में अगर सिंचाई की सुविधा हो, तो सिंचाई अवश्य करनी चाहिए, वरना पौधों की बढ़वार कम होगी और उपज में कमी हो जाएगी.
-आमतौर मक्का की फसल में सिंचाई उपलब्ध नमी की 50 प्रतिशत मात्रा कम होने पर की जाती है.
-अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में, मक्का की फसल को मेड़ों पर उगाकर जलभराव की समस्या को कम कर सकते हैं. सूखे के समय नालियों में सिंचाई कर अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं.
-मक्का में सिंचाई की नई तकनीक जैसे बूंद-बूंद सिंचाई विधि को अपनाकर जल उपयोग की दक्षता को बढ़ा सकते हैं. इसके साथ ही अधिक उपज भी प्राप्त कर सकते हैं.
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