Home पशुपालन Fodder: 20 वर्षों में डिमांड के मुताबिक पशुओं को नहीं मिला हरा और सूखा चारा, पढ़ें कब कितनी रही कमी
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Fodder: 20 वर्षों में डिमांड के मुताबिक पशुओं को नहीं मिला हरा और सूखा चारा, पढ़ें कब कितनी रही कमी

चारे की फसल उगाने का एक खास समय होता है, जोकि अलग-अलग चारे के लिए अलग-अलग है.
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. डेयरी उद्योग ग्रामीण परिवेश में नियमित ​इनकम और रोजगार का मुख्य साधन है. चारा और पशु आहार की लागत कुल दूध उत्पादन लागत की 60-70 प्रतिशत होती है. इसलिए पशु पोषण की आवश्यकताओं की पूर्ति करने और दूध उत्पादन की लागत को कम करने में हरे चारे की बहुत जरूरत होती है. अदलहनी चारा फसलें जैसे मक्का, ज्वार, मकचरी, जई आदि ऊर्जा एवं दलहनी चारा फसलें प्रोटीन एव खनिजों की मुख्य सोर्स होती हैं. हरे चारे से पशुओं में कैरोटीन की पूर्ति होती है. दूध में विटामिन ‘ए’ हरे चारे के माध्यम से ही उपलब्ध होता है.

डेयरी एक्सपर्ट राकेश पांडे और पुतान सिंह कहते हैं कि लगातार घटती कृषि भूमि एवं चारा फसलों के मद्देनजर घटते क्षेत्रफल के कारण उपलब्ध पशु आहार कम है. जबकि पशुओं की संख्या ज्यादा है. पिछले 20 सालों के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो हरे चारे, सूखे चारे एवं दाने की जितनी आवश्यकता थी, उसे पूरा नहीं किया जा सका है. अलबत्ता हरे चारे की 60 फीसदी से ज्यादा कमी रही है और सूखे चारे की भी 20 फीसदी से ज्यादा कमी दर्ज की गई है.

2005 से ही जारी है कमी
चारे की स्थिति की मिलियन टन में बात की जाए तो 2005 से 2010 के बीच 389 मिलियन टन हरा चारा उपलब्ध हुआ था. जबकि सूखा चारा 443 मिलियन टन था. हरे चारे की मांग 1025 मिलियन टन थी और सूखे चारे की कमी 569 थी. 2010 में भी हरे चारे की मांग 1061 मिलियन टन थी और सूखे चारे की मांग 589 मिलियन टन थी लेकिन इसके सामने हरा चारा 395 मिलियन टन और सूखा चारा 451 मिलियन टन ही उपलब्ध हो सका.

पिछले दशक में भी नहीं हुई थी पूर्ति
वहीं 2010 से 2015 के बीच 400 मिलियन टन हरे चारे की और 466 सूखा चारा उपलब्ध हो सका. जबकि डिमांड 1097 और 609 थी. वहीं 2020 से 25 तक 405 मिलियन टन चारे की जरूरत पूरी हुई और सूखा चारा 473 मिलियन टन उपलब्ध हो सका. जबकि डिमांड 1134 मिलियन टन हरे चारे की और 630 मिलियन टन सूख चारे की थी. यानी इस इन सालों में भी पशुओं को न तो हरा चारा और न ही सूखा चारा उपलब्ध हो सका. लगभग हर साल 60 फ़ीसदी से ज्यादा चारे की कमी रही.

2025 तक बनी रहेगी यही स्थिति
यही स्थिति 2025 तक बनी रहेगी. एक्सपर्ट का आकलन है कि 2025 में चारे की उपलब्धता भले ही 411 मिलियन टन तक हो जाएगी और सूखे चारे की 488 तक लेकिन इसकी मांग भी बढ़ेगी. 2025 में 1170 मिलियन टन हरा चारा और 650 मिलियन टन सूखा चारा चाहिए होगा. इस हिसाब से अंदाजा लगाया जाए तो 64 फ़ीसदी हरा चारा और 24 फीसदी की कमी होगी.

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Livestock Animal News

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