Home पशुपालन Disease: इस बीमारी में पशु अपने सिर को दीवार या पेड़ में मारने लगते हैं, बहुत जल्द हो जाती है मौत, जानें लक्षण
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Disease: इस बीमारी में पशु अपने सिर को दीवार या पेड़ में मारने लगते हैं, बहुत जल्द हो जाती है मौत, जानें लक्षण

buffalo calving
प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पशुपालन वैसे तो बहुत फायदे का सौदा है इसे करने से किसान अपनी इनमक बढ़ा सकते हैं लेकिन कई बीमारियां हैं, जो पशुपालन के व्यवसाय को नुकसान पहुंचाती हैं. इसलिए जरूरी है कि इन बीमारियों के बारे में पशुपालकों को पता होना चाहिए. खासतौर पर बीमारियों के लक्षण की भी जानकारी होनी चाहिए. ऐसा न होने से नुकसान हो सकता है. वही बीमारी के बाद वक्त पर पशुओं का इलाज कराना भी जरूरी होता है, नहीं तो मामला और ज्यादा बिगड़ जाता है.

पशुओं को होने वाली बीमारियों में एक रैबीज भी है. इस बीमारी के कारण पशुओं की मौत हो जाती है. वैसे तो ये बीमारी कुत्तों के काटने से ही अन्य पशुओं को होती है. अगर कभी भी किसी पशु को कुत्ते ने काट लिया तो फिर उसे बीमारी हो सकती है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इस बीमारी को जलांतक, पागल कुत्ता, पागलपन जैसे अन्य नामो से भी जाना जाता है. यह इंसानों और गर्म खून वाले लगभग सभी जानवरों में होने वाला रैपिड वायरल इंफेक्शन जो द्वारा होता हैं. जो रैबडो वीरिडी परिवार के मेंबर हैं.

क्या होता है इस बीमारी में
इस बीमारी मे असामान्य व्यव्हार, सचेता अवस्था में कमी, बेचैनी का बढ़ना, चढ़ते हुये प्रकार के पक्षाघात जैसे लक्षण पाये जाते हैं और अंत में पशु की मौत हो जाती है. यह बीमारी कुत्ते के काटने से पशुओं के शरीर के अन्दर करते हैं तथा दिमाग को प्रभावित करता है. पशु के शरीर के घाव पर लार गिरने से भी यह बीमारी फैलती है. यह बीमारी पशुओं से इंसानों में भी हो सकती है. यह बीमारी बहुत जल्दी (10 दिन से लेकर कुछ महीनो में) हो सकती हैं.

ये लक्षण भी जानें
उग्र रूप इसमें बीमारी भयानक रूप धारण कर लेती है और रोग के लक्षण प्रकट होते हैं.
शांत रूप इसमें पशु एकदम शांत रहते हैं तथा इसमें रोग के लक्षण प्रकट नहीं होते हैं.अगर “उग्र रूप में गाय व भैंस काफी उतेजित हो जाते हैं तथा बहुत तेजी से भागने की कोशिश करते हैं. पशु जोर-जोर से रम्भाना लग जाते हैं. पशु अपने सिर को दीवार या किसी पेड़ पर मारने लगता हैं। पशु कमजोर हो जाता हैं और उसकी मौत हो जाती है.

कैसे करें उपचार
एक बार लक्षण पैदा हो जाने के बाद इलाज बिल्कुल सम्भव नहीं है. इसीलिए यह ध्यान रखना चाहिए कि यदि किसी स्वस्थ पशु को कोई रोगी पशु काटता हैं तो उसे तुरंत पशुचिकित्सालय ले जाना चाहिए. कुत्ते के काटने के बाद (पोस्ट बाईट अवस्था) में 0, 3, 7, 14, 28 एवं 90 दिनों पर रेबीज टीकाकरण करवाना चाहिए.

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