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Animal News: IVRI पशुपालकों के पुराने नुस्खों से बनाएगा दस्तावेज, रिसर्च में लेगा इससे मदद

मिशन का उद्देश्य किसानों की इनकम दोगुनी करना, कृषि को जलवायु के अनुकूल बनाना, धारणीय और जैविक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर यानि आईवीआरआई ने एक अहम पहल की है. जिसका फायदा पशुपालकों को मिलेगा. दरअसल, आईवीआरआई ऐसे पशुपालकों से नुस्खे इकट्ठा करेगा जो पशुओं का इलाज अपने बुजुर्गों के बताए तरीके से करते हैं. अब सवाल उठता है कि इकट्ठा करने के बाद आईवीआरआई इसका क्या करेगा, बता दें कि इसके बाद इसे दस्तावेज की शक्ल दी जाएगी और ये देखा जाए कि इसमें कौन से नुस्खे साइंस के पैरामीटर पर फिट बैठ रहे हैं. फिर उससे रिसर्च में मदद ली जाएगी. इससे पशुधन के स्वास्थ्य में सुधार होगा. उत्पादन भी बढ़ेगा और किसानों की इनकम भी.

दरअसल, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर के पशु पोषण विभाग में “अनुसूचित जाति समुदाय के पशुधन के लिए पोषण स्मार्ट गांव के विकास पशु आहार निर्माण और रखरखाव” पर आयोजित 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन मौके पर इस बात की जानकारी दी गई.

आने वाली पीढ़ी को भी होगा फायदा
ज्वाइंट डायरेक्टर प्रसार शिक्षा डॉ. रुपसी तिवारी ने कहा कि परंपरागत ज्ञान तथा आधुनिक विज्ञान को साथ लेकर उसका दस्तावेज बनाने पर जोर दिया जा रहा है. उन्होने कहा कि ग्रामीण स्तर पर जो ज्ञान अपने पूर्वजों द्वारा हमें पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाया गया है, उसको वैज्ञानिकों से साझा करने से एक ओर उसका वैज्ञानिक मूल्यांकन होगा तो ही साथ ही वह हमारे आने वाले पीढ़ी के लिए दस्तावेज के रूप में उपलब्ध रहेगा. इसलिए वैज्ञानिक और किसान को साथ मिलकर अपने ज्ञान का आदान प्रदान करना चाहिए. उन्होने महिलाओं से ​निवेदन किया है कि आप यहां से अर्जित ज्ञान का प्रयोग अपने अपने क्षेत्रों में करें साथ ही महिला समूह बनाकर दाना इकाई स्थापित करें. तथा महिला व्यवसायी बनें आत्मनिर्भर बनें.

ट्रेनिंग में किसानों ने सीखी कई अहम बातें
इस अवसर पर पशु पोषण विभाग के डॉ. नारायण दत्ता ने कहा कि यह प्रशिक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि पशु पालन व्यवसाय में 70 प्रतिशत खर्च पशु आहार में आता हैं यदि हम अपने पशुओ से अधिक उत्पादन लेना चाहते हैं तो हमें संतुलित आहार देना होगा. संतुलित आहार से पशु प्रजनन संबंधी समस्याओं दूर होंगी तथा पशुओं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होगी. इससे पूर्व कार्यक्रम की प्रशिक्षण समन्वयक, डॉ. अंजू काला (वैज्ञानिक) ने कार्यक्रम कि प्रगति आख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस पांच दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिभागियों को पशुओं के लिए वैज्ञानिक विधि से आहार बनाने के प्रशिक्षण दिया गया. साथ ही दूध उत्पादन केसे बढ़ाएं वैज्ञानिक विधि से पशुओं के रख रखाव आदी पर विस्तार से जानकारी दी गयी.

​महिला किसानों को 70 दिन का दाना दिया गया
इसके साथ ही किसान महिलाओं को 70 दिन का दाना और पशु पालन संबंधी जरूरी वस्तुएं उपलब्ध कराई गईं. डॉ अंजु काला ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य अनुसूचित जाति समुदायों में पशुधन के लिए पोषण स्मार्ट गांव का निर्माण करना है, जिसमें पशु आहार के संतुलित निर्माण और पोषण बनाए रखने की तकनीक को सिखाया गया. इस अवसर पर डॉ. असित दास, डॉ. पलक गुप्ता, डॉ. मुतीब, डॉ. सुनीता, डॉ. योगेंद्र, रतन प्रकाश, ज्ञान प्रकाश और हमीरपुर के पूर्व प्रधान ओम प्रकाश सहित विभाग के छात्र छात्राएँ उपस्थित रहे.

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