नई दिल्ली. पशुपालन में किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है, अगर अच्छी नस्ल का पशु पाला जाए. शहर हो या देहात आज सभी जगह दूध उत्पादन के लिए पशुओं को पालकर पशुपालक मुनाफा कमा रहे हैं. आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी ही नस्ल की, जो अपने दूध की भरपूर मात्रा के लिए जानी जाती है. ये नस्ल गुजरात की पहचान है. ये है जाफराबादी भैंस. इस भैंस की 25 लीटर तक दूध देने की क्षमता है. इनका मुख्यता काला रंग होता और इसकी त्वचा ढीली होती है. भैंस के माथे पर सफेद निशान होता है. डेयरी उद्योग चलाने वाले लोगों के लिए ये भैंस काफी फायदेमंद है. यह भैंस दो हजार लीटर दूध एक ब्यात में देती है. आइये जानते है इसके बारे में.
जाफराबादी नस्ल की भैंस को गिर गाय भी कहते हैं. ये नस्ल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के गिर जंगलों में पाई जाती है. जाफराबादी भैंस के दूध में 8 फीसदी फैट होता है, जिसके सेवन से शरीर को मजबूती मिलती है. भैंस की ये प्रजाति हर दिन 20 से 25 लीटर दूध तक दे सकती है. इसका वजन करीब 800 से 1000 किलोग्राम होता है, जो एक ब्यांत में 2,000 लीटर से अधिक दूध दे सकती है.
गुजरात में पाई जाती है ये भैंस: जाफराबादी भैंस गुजरात के जूनागढ़, भावनगर और अमरेली जिलों में पाई जाती है. इसलिए इसका नाम जाफराबाद नगर के आसपास पाए जाने से पड़ा. यह नस्ल गिर के जंगलों में भी पाई जाती है. यह नस्ल काले और बड़े शरीर की होती है. कभी-कभी सलेटी रंग में भी मिलती है. इसके बाल मध्यम लंबाई के और सीधे होते हैं. इसके आकार और रंग रूप की बात करें तो त्वचा का रंग काला होता है. इस भैंस के सींग 50 सेमी तक लम्बी, बीच से ऊपर की मुड़े हुए होते है कान लंबे होते हैं. सींग, थूथन, खुर और पूंछ काले रंग की होती है. इस भैंस का माथा चौड़ा, बड़ा और तिकोना होता है.
ऐसे करें पहचान: जाफराबादी भैंस के अयन सुविकसित, पेंडूलस, गोल व समान होते हैं. अगर इनके दूध की बात की जाए तो थन नुकीले होते हैं. दुग्ध शिराएं मध्यम आकर की होती हैं. नर का वजन 800-1000 किलो ग्राम होता है. वहीं मादा का 450-700 किलो ग्राम होता है. दुग्ध उत्पादन 895-2151 किग्रा तक एक ब्यात में करती है. वहीं इस नस्ल की भैंस का दुग्ध स्रवण काल 254-319 दिन, शुष्क काल 145-260 दिन होता है. प्रथम गर्भधारण की उम्र 920-1,355 दिन होता है. प्रथम ब्यात उम्र 1,146-1360 दिन होती है.
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