नई दिल्ली. देश में बकरी पालन का चलन बढ़ता ही जा रहा है. पशु पालक बकरी पालन न सिर्फ मीट बल्कि अब इसे दूध के लिए भी कर रहे हैं. क्योंकि बकरी के दूध की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है. इसका सबसे बड़ा कारण बकरी के दूध में कई तरह के फायदेमंद गुण हैं. यहां एक और बात है जो ध्यान देने वाली है वो ये है कि बकरी पालन में बकरा हो या फिर बकरी पशु पालक इस बात का ख्याल रख रहे हैं कि उसकी नस्ल अच्छी हो. ताकि दूध और मीट दोनों से उन्हें फायदा पहुंच सके. जब बात नस्ल की आई है तो यहां हम आपको यूपी में पाए जाने वाली बकरी की एक नस्ल के बारे में बताने जा रहे हैं जो पशु पालकों का तो ध्यान खींच ही रही है बल्कि ग्राहकों की भी पसंद है.
वैसे देखा जाए तो यूपी की पहचान बरबरी नस्ल की बकरी से है, लेकिन जमनापरी का नाम भी बहुत ज्यादा लिया जा रहा है. दरअसल, जमनापरी दूध के साथ ही अपने स्वादिष्ट मीट के लिए भी जानी जाती है. इसके चलते ग्राहकों की पहली पसंद है. अब केन्द्रीय पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो जमनापरी बकरियां पूरे देश में पाली जा रही हैं लेकिन पहले नंबर पर उत्तर प्रदेश में ही इसका पालन सबसे ज्यादा हो रहा है. यूपी में 7.54 लाख इस नस्ल की बकरी है.
जबकि दूसरे स्थाान पर मध्य प्रदेश 5.66 लाख, तीसरे पर बिहार 3.21 लाख, चौथे पर राजस्थान 3.09 लाख और पांचवें नंबर पर पश्चिम बंगाल में 1.25 लाख सबसे ज्यादा इस नस्ल की बकरी पाली जा रही है. वहीं देश में दूध देने वाली कुल बकरियों की संख्या 7.5 लाख के पार है. जबकि साल 2019 की पशु जनगणना के मुताबिक देश में 149 मिलियन बकरे-बकरी हैं. हालाकि देश में हर साल इसमे 1.5 से दो फीसद का इजाफा भी हो रहा है.
जमनापरी नस्ल बकरियों की क्या है खासियत
जमनापरी इटावा, यूपी के चकरनगर और गढ़पुरा इलाके में बहुत पाई जाने वाली नस्ल की बकरी है. दरअसल, ये इलाका यमुना और चंबल के बीहड़ वाला है. यही वजह है कि बकरियों के लिए चराई की अच्छी सुविधा है. यह देश की लंबाई में एक बड़े आकार वाली बकरी मानी जाती है. इसके कान भी लंबे नीचे की ओर लटके हुए होते हैं. इसका रंग आमतौर पर सफेद होता है. इसके साथ ही इनके कभी-कभी कान और गले पर लाल रंग की धारियां भी देखने को मिलती है. वहीं इसकी नाक उभरी होती है और उसके आसपास बालों के गुच्छे भी होते हैं. वहीं बकरे-बकरी दोनों के पीछे के पैर के ऊपर लम्बे बाल होते हैं. वहीं बकरे और बकरी दोनों में ही सींग होते हैं.
इसके अलावा बकरे का वजन 45 किलो और बकरी का वजन 38 किलो तक होता है. बकरा 90 से 100 सेमी और बकरी 70 से 80 सेमी ऊंची होती हैं. वहीं जमनापुरी बकरियां अपने 194 दिन के दूधकाल में एवरेज 200 लीटर तक दूध देती हैं. एक साल में जमनापरी बकरी 21 से 26 किलो तक हो जाती है जो उसे बहुत अलग बनाती है. वहीं जमनापरी का बच्चा 4 किलो वजन का होता है. 20 से 25 महीने की उम्र पर पहला बच्चा देती है. दूध के साथ ही यह मीट के लिए खूब पसंद की जाती है. देश में जमनापरी बकरियों की कुल संख्या 25.56 लाख है. प्योर जमनापरी ब्रीड बकरियों की संख्या 11.78 लाख है.
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