नई दिल्ली. किसान फसल पर ही एमएसपी की मांग को लेकर पंजाब से दिल्ली की ओर कूंच कर हैं. कई सालों से किसानों का कहना है कि उन्हें उनकी फसल की उचित मूल्य मिलना चाहिए. लेकिन अब दूध पर किसान एमएसपी की मांग करने लगे हैं. ऐसा मामला अभी पंजाब में तो नहीं लेकिन महाराष्ट्र के कांदा उत्पादक संगठन की ओर से किया गया है. इतना ही नहीं इस संगठन और किसान यूनियन ने पंजाब-हरियाणा के किसान आंदोलन का भी समर्थन किया है. संगठन का कहना है कि सरकार दूध को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी (एमएसपी) के दायरे में लेकर आए. अगर दुग्ध उत्पादक संगठन और किसानों की बात को नहीं मानती तो आंदोलन किया जाएगा.
पांच साल से कर रहे हैं दूध पर एमएसपी तय करने की मांग
पंजाब-हरियाणा के किसान फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी (एमएसपी) के दायरे में लेकर आए. इसे लेकर लंबे समय से केंद्र सरकार से मांग भी करते आए हैं. इसे लेकर कई सालों तक आंदोलन भी हुआ है. इसी तरह से महाराष्ट्र के कांदा उत्पादक संगठन और किसान यूनियनों की ओर से दूध को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी (एमएसपी) के दायरे में लाने की मांग पिछले पांच सालों से कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर सुनवाई नहीं कर रही है. यही वजह है कि हर बार है कि हर बार किसान अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सड़कों तक पर उतरकर दूध तक बहा देते हैं. अखिल भारतीय किसान सभा के वरिष्ठ नेता डॉ. अजीत नवले ने कहा कि जब तक दूध को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी (एमएसपी) के दायरे में नहीं लाया जाता तब तक पशु पालना सिर्फ घाटे का ही सौदा होगा. किसान और पशुपालक जो मेहनत पशुओं को पालने में करते हैं, उसका पूरा लाभ डेयरी संचालक ले जाते हैं.
दुग्ध उत्पादकों का हो रहा शोषण
डॉक्टर अजीत नवले ने कहा कि महाराष्ट्र में प्रतिदिन एक करोड़ तीस लाख (1.30 करोड़) लीटर दूध का प्रोडेक्शन होता है. इसमें से करीब 72 फीसदी दूध की आपूर्ति निजी क्षेत्रों की डेयरी को की जाती है तो बचा हुआ बाकी का दूध कोआपरेटिव सेक्टर को जाता है. मौजूदा वक्त में दूध पर एमएसपी न होने के कारण ये दोनों ही सेक्टर दूध उत्पादकों का शोषण कर रहे हैं. इसलिए हमारी मांग है कि लागत के हिसाब से ही एमएसपी तय होनी चाहिए.
पशुपालकों को लागत भी नहीं मिलती
लागत से भी कम मिल रहा किसानों को दूध का पैसा
महाराष्ट्र में किसानों को दूध का उचित दाम दिलाने की मांग को लेकर कई बार सरकारक के खिलाफ आंदोलन कर चुके अखिल भारतीय किसान सभा के वरिष्ठ नेता डॉ. अजीत नवले ने कहा कि इस समय पशुपालकों को दूध बेचने पर लाभ तो छोड़िए उनको लगात भी नहीं मिल रही. वर्तमान समय हरा, सूखा और अन्य पशु दाना महंगा होने की वजह से दूध की लागत प्रति लीटर 42 रुपये तक आ रही है, जबकि दूध बेचने पर उन्हें सिर्फ 32 रुपये लीटर का दाम मिल रहा है. जबकि इसमें राज्य सरकार द्वारा दी गई 5 रुपये प्रति लीटर की मदद भी शामिल है. इसलिए पशुपालकों को तो घाटा ही हो रहा है. जबकि उपभोक्ताओं को एक लीटर दूध 70 रुपये और उससे अधिक ही मिल रहा है.
मेहनत का फल नहीं मिल रहा किसानों को
डॉ. अजीत नवले ने कहा कि मेहनत करने के बाद भी किसान नुकसान उठा रहा है और कुछ दाम डेयरी व्यापार में लगाकर इनके संचालक मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. इसलिए हमारी मांग है कि किसान को बेस्ट क्वालिटी के दूध की एमएसपी कम से कम 50 रुपये प्रति लीटर तय होनी चाहिए. इसलिए पंजाब-हरियाणा में हो रहे किसान आंदोलन को हमारा समर्थन है क्योंकि उनकी मांगें पूरे देश के लिए है, जिसमें हमने दूध को भी जोड़ दिया है,क्योंकि ये भी सीधा-सीधा किसानों से जुड़ा मुद्दा है.
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