नई दिल्ली. भारत में पोल्ट्री कारोबार बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है. एक आंकड़े पर गौर किया जाए तो हर साल 7 से 8 फ़ीसदी की तेजी से पोल्ट्री कारोबार में वृद्धि हो रही है लेकिन पोल्ट्री फीड के तौर पर इस्तेमाल होने वाले मक्का के बढ़ते दाम ने पोल्ट्री कारोबारी के माथे पर लकीर खींच दी है. दरअसल मक्का पहले ही एमएसपी से ज्यादा दाम पर बिक रहा है और अब एक बार फिर से इसके दाम में बढ़ोतरी हो जाने से पोल्ट्री कारोबारी परेशान हैं और सरकारी मदद की आस लगाए हुए हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसा नहीं किया गया तो पोल्ट्री सेक्टर को बड़ा झटका लग सकता है.
पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि मक्का के रेट और उसकी कमी ने पोल्ट्री सेक्टर के सामने कई मुश्किलें खड़ी की हैं. वहीं बुधवार को एक बार फिर से मक्का की एमएसपी के दाम में इजाफा हो गया तो इससे पोल्ट्री कारोबारी चिंता में पड़ गए हैं. उनका कहना है कि पहले ही देश भर में मक्का एएससपी से ऊंचे दाम पर बेचा जा रहा है और पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े के कई बड़े संगठन लगातार सरकार से मदद करने की आस लगाए हैं. दूसरी ओर सरकार उनकी डिमांड पर ज्यादा दिलचस्पी लेती भी नहीं दिख रही है.
बढ़े दाम पर बिक रहा है मक्का
फिर से मक्का का दाम बढ़ जाने पर पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया की कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने कहा है कि एक तो पहले ही देश में मक्का एमएसपी से ज्यादा दाम पर बिक रहा है. बावजूद इसके एक बार फिर एमएससपी के दाम में इजाफा कर दिया गया है. बढ़े रेट के कारण पोल्ट्री फीड महंगा होना तय है और जिसका सीधा असर पोल्ट्री कारोबारियों पर पड़ने वाला है. उन्होंने कहा कि पहले ही पोल्ट्री फीड 1 साल में 35 से 40 रुपये किलो तक पहुंच चुका है. अब एक बार फिर महंगा हो जाने से पोल्ट्री कारोबारी की कमर टूट जाएगी.
सरकार को उठाना होगा ये कदम
उन्होंने आगे कहा कि मक्का का एक बड़ा हिस्सा पोल्ट्री फीड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. जबकि इसके अलावा एथेनॉल के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है. पोल्ट्री फीड में 60 से 65 फ़ीसदी और बाकी का एथेनॉल में यूज किया जा रहा है. पोल्ट्री कारोबारी काफी पहले से ही एथेनॉल के लिए मक्का का कोटा फिक्स करने की बात करते रहे हैं और मक्का को इंपोर्ट करने की भी अनुमति मांगते रहे हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट का कहना है कि जिस तरह से साल 2022 में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सोयाबीन को इंपोर्ट किया गया था. अगर पोल्ट्री के भविष्य को बचाना है तो मक्का को भी इसी तरह के कदम की जरूरत है नहीं तो इसका असर एंड चिकन के कारोबार पर पड़ना तय है.
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