नई दिल्ली. भारत 1998 से दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है. अब वैश्विक दूध उत्पादन में 25 प्रतिशत का योगदान देता है. पिछले 10 वर्षों में दूध उत्पादन में 63.56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. दूध उत्पादन बढ़ाने में कई सरकारी योजनाओं की वजह से भी फायदा मिला है. जैसे एनपीडीडी योजना के तहत राज्य सहकारी डेयरी जिला सहकारी दूध उत्पादक संघों और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) दूध उत्पादक कंपनियों व किसान उत्पादक संगठनों के लिए क्वालिटी के साथ दूध परीक्षण उपकरणों के साथ-साथ शुरुआती कूलिंग सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है.
एनपीडीडी योजना के तहत ही सहकारिता के माध्यम से डेयरी” का उद्देश्य संगठित बाजार तक किसानों की पहुंच बढ़ाई गई है. डेयरी प्रोसेसिंग सुविधाओं और बिक्री की बुनियादी ढांचे को उन्नत करके और उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाओं की क्षमता में वृद्धि करके दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री में इजाफा किया जा रहा है. डेयरी गतिविधियों में जुड़ी डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसीएफपीओ) को सहायता प्रदान की जाती है. राज्य डेयरी सहकारी संघों को बाजार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले संकट से निपटने के लिए कार्यशील पूंजी लोन के संबंध में ब्याज अनुदान प्रदान करके सहायता दी जाती है.
इस योजना से मिल रही कई सुविधा
इसी तरह से पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) एएचआईडीएफ के जरिए व्यक्तिगत उद्यमियों, डेयरी सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, निजी कंपनियों, एमएसएमई और धारा 8 कंपनियों द्वारा पशुपालन क्षेत्र में प्रोसेसिंग और मूल्य संवर्धन के लिए उनके निवेश के लिए अनुसूचित बैंकों द्वारा स्थापित पात्र परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए लागू किया जा रहा है. इस योजना के तहत डेयरी प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन स्ट्रक्चर, पशु चारा निर्माण प्लांट, नस्ल सुधार टेक्नोलॉजी और नस्ल गुणन फार्म, पशु अपशिष्ट से धन प्रबंधन (कृषि अपशिष्ट प्रबंधन) और पशु चिकित्सा वैक्सीन और दवा उत्पादन सुविधाओं की स्थापना के लिए ऋण सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी हैं.
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम)
गोवंशीय पशुओं के दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सरकार देशी नस्लों के विकास और संरक्षण तथा गोवंशीय आबादी के आनुवंशिक उन्नयन के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन का क्रियान्वयन कर रही है.
वहीं राष्ट्रीय पशुधन मिशन (एनएलएम)
उद्यमिता विकास के लिए व्यक्ति, एफपीओ, एसएचजी, धारा 8 कंपनियों और नस्ल सुधार बुनियादी ढांचे के लिए राज्य सरकार को प्रोत्साहन प्रदान करके मुर्गी पालन, भेड़, बकरी और सूअर पालन में उद्यमिता विकास और नस्ल सुधार पर तीव्र ध्यान केंद्रित करना है.
पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी)
इस योजना का उद्देश्य पशु रोगों के विरुद्ध रोगनिरोधी टीकाकरण, पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता निर्माण, रोग निगरानी तथा पशु चिकित्सा अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना है. पशुपालन और डेयरी विभाग लोगों को दूध के पोषण संबंधी लाभों के बारे में जागरूक करने के लिए आधिकारिक चैनलों के माध्यम से लगातार सोशल मीडिया अभियान चला रहा है. इन अभियानों में जागरूकता पोस्ट, इन्फोग्राफिक्स, रील्स और हैशटैग और डिजिटल आउटरीच के माध्यम से जुड़ाव शामिल हैं.
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