नई दिल्ली. ऊंटों की स्थानीय नस्लों की दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए नेशनल कैमेल रिसर्च सेंटर ने ऊंटों की चार प्रमुख नस्लें, बीकानेरी, जैसलमेरी, कच्छी और मेवाड़ी पर मात्रात्मक (Quantitative), मूल्यात्मक (Valued) और आणविक (Atomic) रिसर्च को सफलता के साथ किया. रिसर्च से पता चला है कि एक ऊंटनी 16 महीने तक लगातार दूध दे सकती है. अन्य पशु से भिन्न ऊंटनी की दूध देने की अवधि 12-18 महीने होती है. औसतन प्रतिदिन उत्पादन 4-5 लीटर और एक दुग्धकाल में 1500- 2500 लीटर दूध देने की क्षमता होती है. कुछ अच्छी मादाएं 10-12 लीटर दूध प्रतिदिन देती हैं. जिन्हें सेलेक्ट करने के बाद प्रजनन कर आनुवंशिक सुधार किया जा सकता है.
ऊंट की नस्लों में कच्छी नस्ल में सबसे अच्छी डेयरी क्षमता है. इसने 1500 किलोग्राम के झुंड के औसत के मुकाबले लगभग 2000 किलोग्राम दूध उत्पादन दर्ज कराया है. कच्छी नस्ल के कुछ पशुओं ने प्रतिदिन 14-15 किलोग्राम दूध उत्पादन भी दर्ज किया और पूरे स्तनपान के दिनों में 4400 किलोग्राम का उत्पादन किया. पश्चिमी राजस्थान क्षेत्र पर अध्ययन में सिंधी नस्ल भी दूध उत्पादन के लिए एक आशाजनक नस्ल पाई गई है. एनालिसिस से यह पता चला कि सही देख-रेख के लिये इसमें मौसम मुताबिक ही प्रजनन करवाना चाहिए. ज्यादा दूध उत्पादन 4-6 महीने पर होता है जो लम्बे समय तक स्थिर रहकर धीरे-धीरे कम होने लगता है. इसके ज्यादा उत्पादन से इसके दूध काल के उत्पादन का पता आसानी से लगाया जा सकता है.
गर्मी में ज्यादा होता है दूध उत्पादन
मई, जून, जुलाई और अगस्त के महीने में जब तापमान ज्यादा व आर्द्रता होती है, उस समय ऊंटनियों में दूध उत्पादन अधिक होता है, इसके विपरीत अन्य पशुओं में दुग्ध कम हो जाता है. दूध उत्पादन के लिए अन्य पशुओं की तुलना में कम पोषण एवं आवास सुविधा की आवश्यकता होती है. इस पर दुग्ध उत्पादन क्षमता को लेकर चयनित प्रजनन प्रारम्भ किया गया है. पहले मुख्य रूप से नर का चयन शारीरिक विशेषता एवं मापों के आधार पर की जा रही थी. अब शारीरिक विशेषताओं के अतिरिक्त नर के मां का दुग्ध उत्पादन क्षमता के आधार पर चयन की जा रही है. ऐसे प्रयास हैं कि केन्द्र पर इस हेतु एक समूह विकसित किया जाये जो कि दुग्ध उत्पादन में उत्कृष्ट हो.
कैसे बढ़ाया जाए दूध उत्पादन
समय- समय पर इस समूह में अच्छी दूध उत्पादन क्षमता वाली ऊंटनियों को भी सम्मिलित किया जाए. इस समूह से उत्कृष्ट नर तैयार किये जाएं जो कि केन्द्र पर एवं पशुपालकों के ऊंटों के समूहों में प्रजनन में काम आएं और दूध उत्पादन बढ़ाकर न केवल ऊंट पालक की आय बढ़ाए बल्कि जन-जन को पोषण सुरक्षा देने एवं ऊंट संरक्षण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करें. दूध उत्पादन के लिए उपयुक्त नस्लों की चयन के लिए क्वालिटी की बात की जाए तो जैसे कि कोट का रंग, बालों का वितरण, स्कंध की ऊंचाई, शरीर भार (मादा-4 वर्ष से अधिक की, नर-7 वर्ष से अधिक), सिर का आकार, गर्दन, सीने की चौड़ाई, सीने की गोलाई, कूबड़, थन, टीट, स्तनग्रभ, टीट का आकार, प्रथम ब्यांत के समय उम्र एवं वजन, मातृत्त्व प्रवृत्ति, ब्यांत का अंतराल, दुग्धकाल औसत दैनिक उत्पादन, दुग्धकाल के 4-6 महीने में दुग्ध, दुग्धखाव का रिफ्लेक्स, दूध दोहन की अवधि इत्यादि गुणों पर ध्यान देना चाहिए.
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