नई दिल्ली. बकरी पालकों को बकरियों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को रोकने के लिए पानी की गुणवत्ता पर गहरी नजर रखनी चाहिए. पानी की खराब क्वालिटी की वजह से बकरियों में सुस्ती, दस्त, भूख कम लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. वहीं में प्रदूषण न हो इसके लिए पानी के सोर्स की जांच करना बेहद ही जरूरी है. इससे बकरियों की हैल्थ भी ठीक रहती है और दूध उत्पादन भी बेहतर रहता है. इसके अलावा बकरी पालकों को बकरी के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए पीएच, नाइट्रेट सांद्रता और सूक्ष्मजीवविज्ञानी संदूषकों (Microbiological contaminants) के लिए पानी की टेस्टिंग किट का उपयोग करके नियमित रूप से पानी की जांच करना चाहिए.
एनिमल एक्सपर्ट डॉ. इब्ने अली का कहना है कि इंवायरमेंटल बदलाव होने पर हर तीन महीने या उससे अधिक समय में नियमित टेस्टिंग किया जाना चाहिए. बकरियों में हैल्थ संबंधी समस्याओं को रोकने, जरूरी है. वहीं दूध उत्पादन को बनाए रखने के लिए बकरी किसानों के लिए नियमित पानी की जांच महत्वपूर्ण कदम माना जाता है. उन्होंने बताया कि अगर खुद जांच न कर पाएं तो मदद के तौर पर पशुचिकित्सा या पानी की गुणवत्ता चेक करने वाले पेशेवर लोगों की मदद ली जा सकती है.
इस तरह करें पानी की सफाई
बकरियों को साफ पानी देने के लिए छानने, क्लोरीनेशन और पानी कंडीशनर की मदद ली जाती है. इसके जरिए स्वच्छ, सुरक्षित पानी बकरियों को उपलब्ध कराया जाता है. क्लोरीनेशन करने से पानी के बैक्टीरिया को खत्म किया जा सकता है. जबकि कंडीशनर हार्ड वॉटर को पानी को नियंत्रित करते हैं. शैवाल और बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए, नियमित रूप से पानी के कुंडों और भंडारण टैंकों को साफ करते रहना चाहिए. वहीं पानी के सोर्स की सफाई और स्वच्छता सहित नियमित रखरखाव, लीक का निरीक्षण और मरम्मत करना बकरियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. नियमित पानी परीक्षण बकरियों को ताजा पानी सुनिश्चित करता है. गुणवत्ता की निगरानी करता है और बकरी के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन भी बेहतर करता है.
नियमित पानी की होती है जरूरत
बकरी पालकों को अपने पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए स्वच्छ, ताजे पानी तक पहुंच की आवश्यकता होती है. सर्दियों में गर्म पानी के कुंड या कंटेनरों का उपयोग करें. जबकि गर्मियों में ठंडा पानी उपलब्ध कराने के लिए टैंकों को छांव में रखना चाहिए. पानी के सोर्स की नियमित सफाई, कीटाणुओं और शैवाल के विकास को रोकने में मदद करती है. बकरियों को हमेशा ही पानी की जरूरत होती है. ज्यादा गर्मी और ठंड में पानी की आपूर्ति को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करके बकरियों को पूरे वर्ष डीहाईड्रेशन से बचाया जा सकता है.
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