नई दिल्ली. लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. (डॉ.) विनोद कुमार वर्मा के निर्देशानुसार हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़ द्वारा ग्राम रामपुरा में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर गोष्ठी आयोजित की गई. कार्यक्रम में वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर पशुपालक महिलाएं किसान उत्पादक समूह बनाकर अपने ग्रामीण क्षेत्रों से पशु उत्पाद जैसे घी आदि भी ब्रांड बनाकर मार्केटिंग करें तो उनकी आय कई गुना बढ़ सकती हैं. आज के बाजारीकरण के युग में हर उत्पाद का मूल्य उनकी गुणवत्ता एवं ब्रांड पर निर्भर हैं, ऐसे में यदि महिलाएं कम पशु रखते हुए भी समूह बनाकर काम करें तो अधिकतम लाभ ले सकती हैं.
कार्यक्रम क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर संदीप गुप्ता, हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़ की अध्यक्षता में वैज्ञानिक डॉक्टर देवेन्द्र यादव द्वारा किया गया. ” उद्यमिता को बढ़ावा देने” पर जोर दिया गया. वैज्ञानिक डॉ. देवेंद्र सिंह द्वारा महिलाओं को महिला किसान उत्पादक संगठनों (डब्ल्यूएफपीओ) के माध्यम से पशु उत्पाद प्रसंस्करण जैसे खोया, पनीर, घी आदि के लिए प्रोत्साहित किया. पशुपालन क्षेत्र का अधिकतम कार्य में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. डॉ देवेंद्र सिंह ने आगे बताया कि लुवास विश्विद्यालय ऐसी महिला किसान उत्पादक समूहों को तकनीकी सहायता देने में हमेशा आगे रहा है.
लगातार घी, दूध, पनीर की मांग बढ़ रही
गौरतलब हैं कि लुवास यूनिवर्सिटी की शोध एवं अनुसंधान की वार्षिक बैठक में यूनिवर्सिटी एवं स्वयं सहायता समूह व महिलाओं के बीच पशुपालन व उद्यमिता के प्रति जागरूकता करने के निर्देश, अनुसंधान निदेशक डॉक्टर नरेश जिंदल द्वारा दिए.शहरीकरण के चलते शुद्ध पशु उत्पाद जैसे की घी इत्यादी की मांग बढ़ रही हैं. इस बढती मांग का पशुपालकों द्वारा लाभ उठाना चाहिए. वैज्ञानिको ने बताया की पशुपालक महिलाएं अपने पारंपरिक घी बनाने के तरीको को बेहतर करके व अपनी खुद की या स्वयं सहायता समूह द्वारा ब्रांड पंजीकृत करके मार्केटिंग करे और घर रहते हुए मुनाफा कमा सकते हैं.
ब्रांड का पंजीकरण कराकर उतारें बाजार में
बाजार लिंकेज, बेहतर मूल्य और लाभ प्राप्त करने के लिए महिला किसान उत्पादक संगठनों (डब्ल्यूएफपीओ) “अग्रिहितकारी फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड” के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देने के बारे में जानकारी दी गईं. उन्होंने पशुपालक महिलाओं से दूध से बने विभिन्न उत्पाद तैयार करने और उन उत्पादों को डब्ल्यूएफपीओ के माध्यम से बाजार से जोड़ने की अपील की गई. उन्होंने डब्ल्यूएफपीओ की मदद से एक आत्मनिर्भर भारत बनाने में पशुपालक महिलाओं की भूमिका के बारे में भी चर्चा की.कार्यक्रम में एनजीओ मुरलीवाला एवं अग्रिहितकारी एफपीओ द्वारा डेयरी उद्यमिता और आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर) को बढ़ावा देने में महिला एफपीओ की भूमिका के बारे में चर्चा की. अधिकतम वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए डब्ल्यूएफपीओ के माध्यम से दूध से विभिन्न उत्पादों को तैयार करने की वैज्ञानिक विधि और उनके बाजार लिंकेज के बारे में प्रकाश डाला. उन्होंने डेयरी पशुओं के इष्टतम आहार के लिए हरे चारे की खेती पर भी जोर दिया.
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