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Animal News: पोल्ट्री फार्म और पशुओं में बीमारियों से बचने की क्या है उपाय, एक्सपर्ट से जानिए

पोल्ट्री फार्म में कई बार बर्ड फ्लू करे बनकर टूटा है तो पशुपालन में खुरपका और मुंहपका रोग बड़े पैमाने पर आता है. इन संक्रामक रोगों से अपने पशुओं की बचाव करने के लिए सावधानी की जरूरत होती है, कुछ सुरक्षा कदम उठाने पड़ते हैं जिससे संक्रामक रोग आपके बारे में ना प्रवेश कर सकें.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. आज खेती के साथ-साथ पोल्ट्री फार्म और पशुपालन किसानों की आमदनी का अच्छा स्रोत बन गया है. बेरोजगारों के लिए एक अच्छा रोजगार का साधन बन गया है. देश में दूध की बढ़ती मांग अब देहात के साथ-साथ शहरी क्षेत्र से भी पूरी की जा रही है. भैंस से लेकर बड़ी संख्या में गाय का पालन या डेयरी खोलकर पशुपालक अपना बिजनेस बढ़ा रहे हैं. वहीं अंडे और मांस की बढ़ती मांग को लेकर मुर्गी पालन भी काफी अच्छा बिजनेस हो रहा है. एक जानकारी के अनुसार कुछ वर्षों से अंडे का उत्पादन बढ़ा है. वही मांस की बिक्री में भी इजाफा हुआ है. हालांकि इन सब चीजों के बीच पशुओं, मवेशियों या मुर्गी मुर्गियों या पक्षियों में बीमारियां भी बढ़ रही हैं. कई बार गंभीर बीमारी से पशु पक्षी या मवेशी ग्रसित हो जाते हैं तो एक बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है.
पोल्ट्री फार्म के विशेषज्ञ का कहना है इन बीमारियों को आने से पहले भी रोका जा सकता है. आईए जानते हैं पोल्ट्री फार्म और पशुपालन में क्या-क्या बीमारियां होती हैं और उनको कैसे रोका जा सकता है. उनकी रोकथाम के उपाय क्या-क्या हैं, पोल्ट्री फार्म में कई बार बर्ड फ्लू करे बनकर टूटा है तो पशुपालन में खुरपका और मुंहपका रोग बड़े पैमाने पर आता है. इन संक्रामक रोगों से अपने पशुओं की बचाव करने के लिए सावधानी की जरूरत होती है, कुछ सुरक्षा कदम उठाने पड़ते हैं जिससे संक्रामक रोग आपके बारे में ना प्रवेश कर सकें.

सवाल: पशुओं में किन-किन माध्यमों से इन्फेक्शन आ सकता है

जवाब: फार्म में इन्फेक्शन नए खरीदे संक्रमित पशुओं, फॉर्म कर्मियों, आने वाले लोगों, उपकरणों, पक्षियों का खाना, पानी, हवा, जंगली पशु पक्षियों, मक्खियों, कीड़े मकोड़े से आ सकता है.
सवाल: पशुधन या पोल्ट्री फार्म में वायरस के क्या क्या सुरक्षा के उपाय हैं
जवाब: वायरस से होने वाले इन्फेक्शन के जोखिम और असर को कंट्रोल करने के लिए कई सारी प्रक्रियाएं होती हैं, अगर कुछ तरीका अपनाएंगे तो इंफेक्शन को रोका जा सकता है. इंफेक्शन का जल्दी से पता लगाना और फॉर्म में सैनिटाइजेशन करना. पशु के जो भी रोग होते हैं उनके समय-समय पर टीकाकरण करवाना. पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर उनकी लगातार मॉनिटरिंग करना.
सवाल: पशु रोगों की रिपोर्ट कहां देनी चाहिए
जवाब: पशु अधिनियम 2009 में संक्रामक रोगों की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए प्रत्येक पशुपालक को किसी भी रोग के लिए जानकारी देना जरूरी है. ग्राम अधिकारी या ग्राम पंचायत प्रभारी को इसकी सूचना दीजिए. इसका विवरण लिखित रूप से पशु चिकित्सक को भी दिया जा सकता है.
सवाल: क्या अलग-अलग फार्मों से पशुओं की खरीदना उचित है या एक ही समय में एक ही फार्म से पशु खरीदने चाहिए
जवाब: अलग-अलग फॉर्म में अलग-अलग संक्रमण की संभावना को कम करने और बीमारियों को कम करने के लिए एक समय में एक ही फार्म से नए पशु खरीदने की सलाह दी जाती है.
सवाल: डेयरी फार्म में नए पशुओं के लिए बीमारी की अवधि क्या होती है
जवाब: डेयरी फार्म में नए इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए पशुओं को खरीदने के बाद कम से कम तीन सप्ताह के लिए अलग रखना चाहिए.
सवाल: संगरोध रोड एवं अलगाव में क्या अंतर है?
संगरोध: जिन स्वस्थ पशुओं को किसी संचारी रोग के संपर्क में आने की संभावना है, उन्हें पशु झुंड से अलग करके और उनका आना व जाना बंद करके यह पता लगाने के लिए संक्रमित हुए हैं या नहीं है प्रक्रिया आपनाई जाती है.
अलगाव: बीमार पशु जो संचारी रोग से ग्रसित है, उनको स्वस्थ पशुओं से अलग करने की यह प्रक्रिया है.

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