नई दिल्ली. मीट की डिमांड लगातार बढ़ रही है, इससे कोई भी इनकार नहीं कर सकता है. एक आंकड़े के मुताबिक भारत में तकरीबन 70 फीसदी लोग नॉन वेजिटेरियन हैं. एक्सपर्ट ने भारत में बढ़ रही मीट डिमांड की तीन वजहें गिनाईं हैं. दरअसल, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के संयुक्त निदेशालय, प्रसार शिक्षा एवं पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संयुक्त रूप से एक दिवसीय नेशनल वर्कशॉप में ये बात सामने आई है. यहां कार्यशाला और उद्योग एकेडिमिया मीट का हाइब्रिड रूप से आयोजन किया गया, जिसमें मांस व्यवसाय से जुड़े हुए 10 उद्योगों सहित लगभग 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया.
संस्थान निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि शोध योग्य मुद्दों का पता लगाने हेतु यह इंटरफेस मीट बहुत महत्वपूर्ण है. पशुधन उत्पादों के उत्पादन और प्रोसेसिंग के महत्व को ध्यान में रखते हुए आईवीआरआई इस साल से बीटेक डेयरी टेक्नोलॉजी में डिग्री कार्यक्रम की शुरूआत करने जा रहा है.
लोग हो रहे हैं जागरुक
डा. दत्त ने आगे बताया पिछले दशक में भारत का मांस उत्पादन 4.85 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ा है तथा यह सभी पशु उत्पादों में से सबसे ज्यादा निर्यात किये जाने वाला पशुधन उत्पाद है। उन्होंने कहा कि पशु कल्याण, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, आहार सम्बन्धी बीमारियां कुछ और मुद्दे हैं जिन्हें उचित रूप से संबोधित करने की जरूरत है. इस अवसर पर बोलते संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डा. एस.के. मेंदीरत्ता ने बताया कि पिछले कुछ दशकों के दौरान मांस उपभोक्ताओं की प्राथमिकताओं में बदलाव आया है आजकल के उपभोक्ता मांस की गुणवत्ता, पोषकता, पशु कल्याण तथा पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति भी जागरूक हो रहे हैं.
यहां पढ़ें डिमांड बढ़ने की क्या है वजह
संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा. रूपसी तिवारी ने बताया कि इस वर्ष आईवीआरआई द्वारा आयोजित की जाने वाली यह आठवीं उद्योग एकेडिमिया मीटिंग है. उन्होंने कहा कि सहयोगात्मक अनुसंधान, उद्योग निर्मित उत्पादों के मान्यकरण, परामर्श कार्य, अनुबन्ध अनुसंधान, इंडस्ट्री चेयर, सीएसआर अनुदान, इंटर्नशिप इत्यादि विषयों पर पारस्परिक चर्चा एवं सहयोग स्थापित करने के लिए यह एक बेहतरीन मंच है. डॉ. तिवारी ने कहा कि भारत में बहुत कम मांस का प्रोसेसिंग होता है लेकिन बढ़ती हुई आबादी, आय एवं पशुजनित प्रोटीन की बढ़ती मांग के कारण इस क्षेत्र में गत वर्षों के दौरान विकास की रफ्तार बढ़ी है.
लगातार उत्पादन और प्रोसेसिंग होना चाहिए
पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. ए.आर. सेन ने इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान परिपेक्ष में मांस उद्योग में सतत्ता एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है जिसे उचित रूप से संबोधित करना जरूरी है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लगातार विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लगातार मांस उत्पादन और प्रोसेसिंग के महत्व पर बल दिया. कार्यशाला के दौरान दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया.
इन मेहमानों ने रखे विचार, दिया प्रेजेंटेशन
पहले सत्र की अध्यक्षता डा. एस.के. मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक ने की जिसमें डा. ए.आर. सेन विभागाध्यक्ष, पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग, डा. देवाशीष मलिक, उपनिदेशक, भारतीय मानक ब्यूरो, नई दिल्ली और डॉ. एस.वी. बारबुधे, निदेशक, राष्ट्रीय मांस अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद द्वारा ”स्वस्थ्य जीवन के लिए मांस एवं मांस उत्पादों के महत्व“ विषय पर प्रस्तुतियां दी गईं. दूसरे सत्र की अध्यक्षता डा. ए.आर.सेन द्वारा की गई इस सत्र में श्री के. राजेश लिसियस, बंग्लूरू द्वारा मांस क्षेत्र में स्थिरता और गुणवत्ता से संबंधित मुद्दे तथा डा. वी. तिजारे, महाप्रबन्धक, वैंकी (इंण्डिया), पुणे द्वारा घरेलू और निर्यात पोल्ट्री मांस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मुद्दे और रणनीतियाँ पर अपनी प्रस्तुतियां दी. इसके पश्चात विभिन्न उद्यमियों के साथ विचार विर्मश किया गया.
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