नई दिल्ली. जम्मू कश्मीर में भेड़ के मीट की मांग ज्यादा है लेकिन जितनी डिमांड है वो पूरी नहीं हो पा रही है. अब इसी मांग को पूरा करने के मकसद से सरकार ने कृषि विकास कार्यक्रम एचएपीडी शुरू किया है. जिसके तहत ऑस्ट्रेलिया से 900 भेड़ें इंपोर्ट की जाएंगी. कहा जा रहा है कि इन भेड़ों का इस्तेमाल जम्मू और कश्मीर में मीट की मांग को पूरा करने के लिए किया जाएगा. इन भेड़ों की कीमत की कीमत 26 करोड़ रुपए बताई जा रही है. यानी एक भेड़ की कीमत तकरीबन 2 लाख 88 हजार रुपये पड़ेगी. ये भेड़ें टैक्सल और डॉर्पर नस्ल की हैं. जबकि मीट उत्पादन के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं.
सरकार की ओर से कहा गया है कि आने वाले समय में प्रदेश को मीट उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और आयत की निर्भरता को खत्म करने के लिए ये फैसला अहम साबित होगा. इस भेड़ को इंपोर्ट करने के बाद इससे प्रजनन को बढ़ावा दिया जाएगा. जल्द ही जम्मू और कश्मीर संभाग में से भेड़ पालन से जुड़े विशेषज्ञों को इसके लिए ऑस्ट्रेलिया भी भेजा जाना है.
दोनों नस्लों की भेड़ों के बारे में पढ़ें यहां
जानकारी के लिए बता दें कि डॉर्पर भेड़ें डोरसेट सींग वाले नर भेड़ों और ब्लैकहेड फारसी भेड़ का क्रॉस ब्रीड हैं. डॉर्पर नस्ल के मेमने लगभग 4 महीने में ही 35 से 40 किलोग्राम वजन हासिल कर लेते हैं. जबकि व्यस्क भेड़ का वजन 90 किलोग्राम तक होता है. ज्यादा प्रजनन क्षमता और मौसम की स्थिति के अनुकूल होने की वजह से डॉर्पर भेड़ की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है. एनिमल एक्सपर्ट इन प्रजाति को जम्मू संभाग के लिए बेहतरीन बता रहे हैं. वहीं टैक्सल भेड़ की खासियत की बात की जाए तो यह घरेलू भेड़ की एक डच नस्ल है. यह मूल रूप से टैक्सल द्वीप और नीदरलैंड के उत्तर तटीय क्षेत्र में पाई जाती है. टैक्सल नस्ल की भेड़ के सिर और पैर चिकने होते हैं. इसका कद छोटा, चेहरा चौड़ा, नाक काली और कान छोटे होते हैं. इस नस्ल की सबसे खास बात यह है कि इसकी मांसपेशियां अन्य भेड़ की तुलना में ज्यादा तेजी के साथ विकास कर जाती हैं.
जानें राज्य में कितनी है मीट की डिमांड
कहा जा रहा है कि इंपोर्ट की जाने वाली भेड़ को एक महीने तक ऑस्ट्रेलिया में क्वॉरेंटाइन रखा जाएगा. भारत में आने के बाद इन्हें दोनों संभागों में तैयार क्वॉरेंटाइन सेंटर में 2 महीने तक रखा जाएगा. कठुआ के राजबाग में क्वॉरेंटाइन केंद्र बनाया गया है. क्वॉरेंटाइन किए जाने के बाद इन्हें रियासी के सरकारी भेड़ पालन फार्म पैंथल में रखा जाएगा. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर साल 15 लाख भेड़ की खपत जम्मू कश्मीर में मीट के लिए होती है. खासकर कश्मीरी व्यंजनों में इसकी खपत ज्यादा होती है. आधिकारिक आंकड़ों पर गौर किया जाए तो हर साल मीट के लिए 15 लाख भेड़ की मांग पूरी करने के लिए 41 फीसदी मीट देश के अन्य हिस्सो से मंगाना पड़ता है. इस पर करीब 14 करोड़ रुपए खर्च होते हैं. वहीं जम्मू कश्मीर सरकार ने समग्र कृषि विकास कार्यक्रम के तहत प्रदेश में ऊन और मटन की उत्पादकता बढ़ाने और आयात कम करने के लिए 329 करोड़ की पंचशील योजना को शुरू किया है.
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