नई दिल्ली. खाने पीने की चीजों में मिलावटखोरी कोई नई बात नहीं है. अक्सर मिलावट के कई मामले सामने आते रहते हैं, जो आम लोगों की सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ है. यही वजह है कि मिलावट खोरी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने राज्य में खाने-पीने की चीजों जिसमें, दूध—पनीर और घी जैसी रोजमर्रा की चीजें शामिल हैं, उसमें मिलावट खोरों की पहचान होने के बाद उनकी तस्वीर शहर के मुख्य चौराहों पर लगाए जाने की बात कही है. ताकि आम जनता को मिलावट खोरों की पहचान हो सके और मिलावट खोरों के प्रति समाज में नकारात्मक संदेश जाए.
हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली दवाओं के कारोबार को सामाजिक अपराध करार दिया है. उन्होंने खाद्य सुरक्षा एवं औषधीय प्रशासन एफएसडीए विभाग की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में कहा कि तेल, मसाले, दूध, पनीर जैसी रोजाना इस्तेमाल की जाने वाली चीजों की जांच जहां उत्पादन हो रहा है वहां करने का प्रयास किया जाए. दूध व दूध उत्पादों की विशेष रूप से सघन जांच के लिए टीम में बनाई जाए जो लगातार निगरानी रखें. ताकि कहीं भी कोई मिलावट पाई ज रही है तो जिस जगह उत्पादकता हो रही है, वहीं पकड़ा जा सके, जिससे आम जनता को इससे नुकसान न हो.
टोल फ्री नंबर भी हुआ जारी
मिलावट खोरी का खेल पकड़ने के लिए राज्य सरकार जनता की भी मदद चाहती है. इसके लिए फूड सेफ्टी कनेक्ट नाम का मोबाइल एप और टोल फ्री नंबर 181805553 उपलब्ध कराया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया कि किसी भी शिकायत का निपटारा जब माना जाए जब इसकी शिकायत करने वाला व्यक्ति संतुष्ट हो जाए. खाद्य सुरक्षा की प्रक्रिया को पारदर्शी और जवाबेहद बनाने के लिए एफएसडीए की ओर से पासवर्ड संरक्षित बारकोड भी लागू किया है. दरअसल, हर नमूने का परीक्षण वैज्ञानिकों द्वारा डिजिटल माध्यम से किया जाता है और फिर आला अधिकारियों की इजाजत के बाद ही विश्लेषण मान्य माना जाता है.
इन मंडलों में शुरू होगी लैब
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के आदेश पर यूपी में खाद्य एवं औषधीय प्रयोगशालाओं के नेटवर्क का विस्तार करने की भी कोशिश जल्द शुरू होगी. खासतौर पर छह मुख्य मंडलों के अलावा अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, बस्ती, चित्रकूट, कानपुर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर और देवीपाटन मंडलों में भी नई लैब शुरू की जाएगी. लखनऊ मेरठ वाराणसी में तीन आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी लैब पहले से ही मौजूद है.
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