नई दिल्ली. पशुपालन एक बेहतरीन काम है. अगर इसमें सही नस्ल का चयन कर लिया जाए तो इससे फायदा ज्यादा मिल सकता है. मसलन, अगर आप भैंस पालना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि किस नस्ल की भैंस को पालें, जिससे ज्यादा मुनाफा मिल सकता है. भारत में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन के मामले में मुर्रा भैंस का नाम लिया जाता है और यही भैंस सबसे ज्यादा दूध देने के मामले में मशहूर भी है. ज्यादातर किसान इस भैंस को पालकर मोटी कमाई कर रहे हैं. जिनका चयन करके डेयरी फार्मिंग का काम किया जा सकता है और अच्छी कमाई की जा सकती है.
इस आर्टिकल में हम मुर्रा नस्ल की भैंस के बारे में बात करेंगे. इसके अलावा एक और नस्ल के बारे में बात करेंगे, जो खुद को किसी भी तरह के परिस्थिति में ढाल लेती है, साथ ही अच्छा दूध का उत्पादन करती है. गर्मी जैसे सख्त मौसम में भी दूध का उत्पादन अच्छा करती है और खुद को एडजस्ट कर लेती है. आईए जानते है.
जानें कैसे मिलता है एक दिन में 25 लीटर दूध
आपको बता दें कि मुर्रा भैंस 20 से 25 लीटर प्रतिदिन दूध दे सकती है. हालांकि इसके खानपान पर भी काफी चीजें निर्भर करती हैं. ज्यादा दूध देने वाली मुर्रा नस्ल की भैंस की पूंछ भी पतली होती है. इसलिए पता चलता है कि यह भैंस प्योर मुर्रा नस्ल की है और उसकी चमड़ी भी बेहद पतली होती है. 25 लीटर दूध देने वाली मुर्रा नस्ल की भैंस को खाने में खल और चूनी देना बेहतर होता है. बहुत से पशुपालक ज्यादा दूध उत्पादन के लिए पशु को सेब भी खिलाते हैं. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि जब भी पशु को खरीदा जाए तो इस बात का भी ध्यान दिया जाए कि अगर अच्छी क्वालिटी की एक भैंस को भी खरीद लिया जाए तो दो भैंस खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसलिए दो खरीदने से अच्छा है एक ही खरीद ली जाए. इसके बाद अगर पशु बछड़ी को जन्म दे और उसे तैयार करने की बात आए तो 3 महीने तक उसे दूध पिलाना चाहिए. उसकी सही तरह से देखभाल किया जाए तो डेढ़ साल में वह तैयार हो जाती है.
कम गुणवत्ता वाला चारा खाकर करती है दूध उत्पादन
मराठवाड़ी नस्ल महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में पाई जाती है. इन इलाकों में इस भैंस को बहुत से पशुपालक पालते हैं और अच्छी कमाई करते हैं. इस भैंस की खासियत ये है कि यह सूखे व गर्मी के प्रति अधिक सहनशील होती है. सूख और गर्मी के मौसम में इसे किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं हेाती है. वो खुद को एडजेस्ट कर लेती है. इसकी एक और खासियत ये है कि इस नस्ल की भैंस कम गुणवत्ता वाला चारा खाकर भी ज्यादा दूध देती है. इसकी पहली ब्यात 52-54 महीने होती है. दूध का औसत उत्पादन 305 दिनों का 1000 किलोग्राम है. इस भैंस की पहचान की बात की जाए तो यह भैंस माध्यम आकार की होती है. इसकी बॉडी सुडोल होती है. इनके शरीर का रंग ग्रेयिश ब्लैक से लेकर जेट ब्लैक तक होता है. इसके सींग माध्यम आकार के व गर्दन के समांतर होते हुए कन्धों तक जाते हैं. इसका चेहरा पतला तथा लम्बा व माथे पर एक सफेद धब्बा होता है. जो आमतौर इस नस्ल की भैंसों में होता है. इस भैंस की पूंछ आकार में छोटी तथा पूंछ के अंत में एक सफेद बालों का गुच्छा होता है.
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