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Milk Production: इन 10 चीजो से बनाएं चूरी और पशुओं को खिलाएं, गर्मी में दूध से भर जाएगी बाल्टी

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प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. गर्मी के मौसम में पशुओं में दूध उत्पादन कम होने के कारण कई हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि गर्मी के कारण पशुओं का पाचन कमजोर हो जाता है. जिससे वह ठीक से भोजन नहीं पचा पाते हैं. ज्यादा तापमान के कारण भी अक्सर पशु तनाव में आ जाते हैं. जिससे भी दूध उत्पादन कम हो जाता है. इसके अलावा पशुओं को लू लगने से भी दूध का उत्पादन कम होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मी में अगर पशुओं का दूध उत्पादन कम हो जाए तो कुछ उपाय हैं, जिनको करके दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है.

गर्मी में पशुओं का दूध उत्पादन कम न हो इसके लिए उन्हें हमेशा ही छायादार और ठंडी जगह पर रखना चाहिए. पशुओं को खूब पानी पिलाना चाहिए और यह भी तय करना चाहिए कि हमेशा ही उनके पास पानी रहे. लोबिया जैसी घास भी पशुओं खिलानी पड़ती है. इससे भी दूध उत्पादन बढ़ जाता है. हालांकि इस आर्टिकल में हम आपको दूध उत्पादन बढ़ाने वाली चूरी के बारे में बताने जा रहे हैं.

इन सामानों से तैयार करें चूरी
दुधारू पशुओं को चूरी खिलाकर उनका दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है लेकिन यह चूरी कैसे बनेगी, इसमें क्या-क्या चीज मिलाई जाएगी, इसकी जानकारी होना बेहद जरूरी है. आईए इस बारे में यहां जानते हैं. चूरी बनाने के लिए 70 किलो गेहूं का इस्तेमाल करना पड़ेगा. जौ 40 किलो, सरसों की खली 50 किलो, 50 किलो बिनोला, 5 किलो तारामीरा, मक्का 7 किलो, बाजरा 15 किलो, काला नमक 4 किलो और मीठा सोडा ढाई सौ ग्राम इस्तेमाल करना है. साथ में मेथी भी 5 किलो लगेगी. इन सब सामान से तैयार चूरी खिलाने से पशुओं का दूध उत्पादन तेजी से बढ़ेगा. अगर पशु कमजोर है तो वह मजबूत हो जाएगा.

कितना खिलाना है जानें यहां
एक्सपर्ट कहते हैं कि इस चूरी को देने के लिए चक्की में दरदरा पिसवा लेना चाहिए और जो भी दुधारू पशु हैं, तकरीबन 3 किलो रोजाना उसे जरूर खिलाना चाहिए. आप चाहें तो चार से पांच किलो भी इस चूरी को रोजाना खिला सकते हैं. आपको बता दें कि पशुओं को गेहूं, मक्का, जौ मीठा सोडा, बिनौला और तारामीरा जैसी चीज खिलाते हैं तो इससे उन्हें फायदा मिलता है. गेहूं मक्का और जौ ऊर्जा और प्रोटीन का अच्छा सोर्स होता है. जिससे पशु का विकास होता है. मीठा सोडा पाचन सुधार करता है. दूध उत्पादन बढ़ता है. बिनोला और तारामीरा खिलाते हैं तो इससे पशु के दूध में फैट बढ़ता है. क्योंकि बिनौला और तारामीरा में फैट होता है.

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