नई दिल्ली. सफाई के साथ दूध के उत्पादन के लिए जरूरी है कि दुधारू पशु निरोग तथा स्वस्थ हों. पशुओं के कई रोग ऐसे हैं जो दूध के माध्यम से पशुओं से इंसानों में फैलते हैं. इसलिए केवल निरोग पशुओं को ही दूध उत्पादन के लिए प्रयोग करना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि पशु की सफाई दूध दुहन से कम से कम एक घंटा पहले करनी चाहिए. पिछले भाग को पानी से धोकर साफ करें. थन पर यदि बाल हैं तो उन्हें काटकर छोटा करें. थन को बैक्टीरिया नाशक घोल (लाल दवाई) से घोकर साफ तौलिये से पोछें.
दूधशाला में रौशनी हवा की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए. दीवरों पर 2.5 से 3.0 की ऊंचाई तक सीमेंट का पलास्टर करके चिकना करवाकर रखें. ताकि घुलाई में आसानी रहे. दीवरों या छत पर जाले, पूल तथा गन्दगी न जमने दें. दूधशाला को प्रतिदिन दो बार धोकर साफ करें. दूध दूहन से पहले गोबर आदि हटा कर रोगाणुनाशक घोल से दुग्धशाला की सफाई करना बेहतर होता है.
ये काम तो बिल्कुल न करें
दूध दूहने में स्वस्थ और अच्छी आदतों के ग्वालों को ही लगायें. उनके कपड़े साफ, नाखून कटे हुए सिर टोपी से ढका हुआ हो और काम शुरू करने से पहले हाथ लाला दवाई से धोए जाने चाहिए. ग्वाले के लिए दोहन के समय बातचीत करना, धूकना, पान खाना, सिगरेट पीना तथा छींकना नहीं चाहिए. स्वच्छ दूध के उत्पादन में बर्तनों की सफाई का बड़ा महत्व है. दूध के प्रयोग में आने वाले बर्तन जोड़ रहित होने चाहिएं. जोड़ पर सूक्ष्म जीवाणुओं का जमाव सम्भव है. वहीं बर्तन जंग रहित धातु से निर्मित होने चाहिए.
इस तरह दूध दुहें
चारे में हानिकारक व तेज गंध वाले खरपतवार नहीं होने चाहिए. भूसा या धूल युक्त चारा दूध निकालने के बाद ही खिलाएं. तेज गंध वाले खाने वाले पदार्थ जैसे साइलेज आहद पशु को दध दुहने से कम से कम एक घंटा पहले या दोहन के बाद खाने को दें. दूध दूहने में पहले हस्त विधि सबसे अच्छी है. चुटकी विधि (Stripping) तथा मुट्ठी में अंगूठा दबाकर दूध दूहने की विधि पशु के लिए तकलीफदेह है. जिनके प्रयोग में पशु को तकलीफ होने के कारण उसका उत्पादन घटता है.
अच्छी तरह से हाथों की करें सफाई
वहीं जबकि पूर्ण हस्ता विधि में समस्त थन पर समान दबाव पड़ता है तथा पशु को तकलीफ की बजाय दूध निकलवाने में आराम महसूस करता है. इसके अलावा ग्वालों को दोहन के समय हाथों को सूखा रखना चाहिए. अपने हाथों पर झाग या पानी न लगायें. हाथों को धोकर तथा पोंछकर दूध दुहें. दूध दोहने के बाद पशु को कम से कम एक घंटे तक नहीं बैठने देना चाहिए. दूध दोहन के लिए ओक्सिटोसिन के इंजेक्शन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
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