Home डेयरी Milk Production: यहां पढ़ें कम संसाधनों के बावजूद कैसे राजस्थान में होता है ज्यादा दूध उत्पादन
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Milk Production: यहां पढ़ें कम संसाधनों के बावजूद कैसे राजस्थान में होता है ज्यादा दूध उत्पादन

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कार्यक्रम में विचार रखते ​अतिथि.

नई दिल्ली. राजस्थान के बीकानेर स्थित पशुचिकित्सा और पशुविज्ञान विश्वविद्यालय के 15वें स्थापना दिवस के मौके पर प्रो. रामेश्वर सिंह, कुलपति वेटरनरी विश्वविद्यालय पटना (बिहार) ने कहा कि देश को प्राकृतिक संरक्षण एवं संसाधनो के मुनासिब खपत के मामले में राजस्थान एक मिसाल बन गया है. यहां सीमित संसाधनों के होते हुए भी राजस्थान देश में दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है. वहीं लम्पी जैसी प्राकृतिक आपदा को झेलने के बाद भी मरू प्रदेश में दूध उत्पादन स्तर बहुत अच्छा है. यहां के कृषको का खेती के साथ-साथ पशुपालन आजीविका का अहम साधन है.

उन्होंने कहा कि इसलिए खेती बाड़ी में अकाल के बाद भी यहां के किसानों में आत्महत्या की घटनाएं सुनने को नही मिलती हैं. पशुपालन का देश की जीडीपी. में अमूल्य योगदान दे रहा है. हमें पशु उत्पादन के लिए नई तकनीकों एवं रिसर्च के जरिए गुणवत्ता युक्त पशु उत्पादों पर ध्यान देना होगा. कार्यक्रम डॉ. राजेश शर्मा सदस्य राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग, ऊर्जा विभाग, राजस्थान सरकार ने वेटरनरी विश्वविद्यालय के विकास हेतु अपने अनुभवों को साझा किया और विश्वविद्यालय द्वारा पशुचिकित्सा, शोध एवं प्रसार के क्षेत्र में प्रगति एवं कार्यो की सराहना की.

देश में अलग पहचान बनाई है
डॉ. शर्मा ने सोशल मीडिया की मदद से, रोजगार देने वाली शिक्षा, सोलर एनर्जी एवं ग्रीन कैम्पस पर जोर दिया. डॉ. शर्मा ने कहा कि स्थापना दिवस उत्साह एवं उमंग का दिन हमें अपने कार्यों का आत्म अवलोकन करके भविष्य योजनाओं पर विचार करना चाहिए. विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय ने 14 साल के कम वक्त में ही पशुचिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान एवं प्रसार कार्यक्रमों के माध्यम से देश में विशेष पहचान बनाई है. विश्वविद्यालय का सुद्दढ़ीकरण इसके विकास में सहयोगी रहा है. वेटरनरी कॉलेज बीकानेर इस वर्ष अपना प्लेटीनम जुबली वर्ष मना रहा है. जिसके तहत विश्वविद्यालय के एल्युमिनाई द्वारा विद्यार्थियों को रोजगार के विभिन्न अवसरो से अवगत करवाया जा रहा है.

बेहतर प्रदर्शन के लिए किया प्रेरित
प्रो. गर्ग ने वेटरनरी कॉलेज, बीकानेर के साथ-साथ, पी.जी.आई.वी.ई.आर. जयपुर, वेटरनरी कॉलेज, नवानियां एवं वेटरनरी कॉलेज, जोधपुर में संरचानात्मक विकास के कार्यों से रूबरू करवाया. प्रो. गर्ग ने विद्यार्थियों हेतु अनुभव शिक्षण, उद्यमिता एवं गुणात्मक शोध के महत्व पर बल दिया. प्रो. गर्ग ने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों से उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु विशिष्ट पहचान बनाने हेतु प्रेरित किया. कार्यक्रम के सम्मानीय अतिथि प्रो. अरुण कुमार, कुलपति स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर ने विश्वविद्यालय के 15वें स्थापना दिवस की सभी को बधाई देते हुए कहा कि स्थापना दिवस के अवसर पर हमें हमारे उद्देश्यों की पूर्ति एवं भविष्य योजना का आकलन करना चाहिए.

पशुपालकों के हित में किया काम
वेटरनरी विश्वविद्यालय ने पशुचिकित्सा के क्षेत्र में देश में विशेष पहचान बनाई है. उन्होंने कहा कि दोनों विश्वविद्यालय परस्पर सहयोग करके राज्य में किसानों एवं पशुपालकों के हित में कार्य करते रहेंगे. कार्यक्रम के सम्मानीय अतिथि, वेटरनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एके. गहलोत ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय के प्रगति परस्पर सहयोग समन्वय एवं विशेष कार्ययोजना से ही संभव हो सकती है. प्रो. गहलोत ने विश्वविद्यालय के प्रगति सौपान का जिक्र करते हुए राज्य सरकार, पशुपालन विभाग, आई.सी.ए.आर. के सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया. इससे पूर्व अतिथियों ने वेटरनरी विश्वविद्यालय के पशुचिकित्सा संकुल, डेयरी फार्म एवं मिनरल मिक्सचर यूनिट का भ्रमण कर पशुचिकित्सा एवं उत्पादन में विश्वविद्यालय के नवाचारों की जानकारी ली एवं कार्यों की प्रशंसा की.

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