नई दिल्ली. भैंस पालन बेहद ही फायदेमंद होता है. भैंस की ये क्वालिटी होती है कि वो दूध देने के मामले में गायों की नस्लों से बेहतर होती है. इसलिए ये किसानों के बीच ज्याद लोकप्रिय जानवर भी है. एक्सपर्ट भैंस के बारे में ये भी बताते हैं कि एक भैंस चाहे वो किसी भी नस्ल की हो, औसतन साल में 1500 लीटर तक दूध उत्पादन करती ही है. वहीं कुछ नस्ले ऐसी हैं जो जिसमें जाफराबादी, संभलपुरी, नीली रावी, टोड़ा, साकरनाथ भैंस का नाम लिया जाता है ये 2000 लीटर तक उत्पादन करने के लिए जानी जाती हैं. हालांकि आज भी मुर्राह, मेहसाना और पंढरपुरी भैंस की गिनती टॉप की नस्लों में होती है.
आज हम यहां जिक्र करने जा रहे हैं नीली-रावी भैंस की नस्ल का जो मुर्राह नस्ल से मिलती-जुलती है. ये नस्ल भी दूध उत्पादन के लिए बेहतर मानी जाती है. हर साल 800 से 1500 लीटर तक मिल्क का प्रोडक्शन करने में सक्षम है. इस नस्ल को भी खूब पाला जाता है और किसान इससे फायदा उठाते हैं. डेयरी कारोबार के लिए ये नस्ल अच्छी मानी जाती है.
पैरों व माथे पर होते हैं सफेद धब्बे
यह नस्ल मुर्राह के सामान ही होती है, मगर इसके पैरों व माथे पर सफ़ेद धब्बे होते है. बहुत से पशुपालकों के बीच इसे पंच कल्याणी के नाम से भी जाना जाता है. यह नस्ल फिरोजपुर, पटियाला व अमृतसर जिलों (पंजाब) में पायी जाती है. यह नस्ल सतलुज व रावी नदी के दोआब क्षेत्र भारत पाकिस्तान सरहद तक फैली हुयी है. अगर इसके नाम की बात की जाए तो इसका नाम सतलुज नदी के नीले रंग के पानी की वजह से नीली पड़ा तथा रावी नदी के आसपास के वजह से रावी नाम पड़ा यह मिश्रित नस्ल है.
कितना दूध देती है ये भैंस
इसकी त्वचा तथा बालों का रंग काले से भूरेपन लिए होता है. कभी-कभी सलेटी रंग में भी पायी जाती है. इसके माथे, मुख, थूथन, पैरों पर सफेद धब्बे पाए जाते हैं. यह मध्यम आकार व गहरे शरीर वाली होती है. सींग छोटे, मुडे हुए एक दुसरे को काटते हुए होते हैं. गर्दन लम्बी, पतली और साफ़ बनावट की होती है. पूंछ कड़ी सिरों पर बालों का सफ़ेद गुच्छा होता है. इनके नर का वजन लगभग 567 किग्रा, व मादा का 454 किग्रा, होता है. पहली ब्यांत उम्र की बात की जाए तो 1,216-1,617 दिन होती है. जबकि दूध उत्पादन 780-1,520 किग्रा करती है. दूध स्रवण काल 263-316 दिन, शुष्क काल 115-202 दिन, वसा 5.1-8.0 प्रतिशत होता है.
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