नई दिल्ली. डेयरी पशुओं को गर्मी में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसका असर सीधा दूध उत्पादन पर पड़ता है. अगर पशुपालक कुछ जरूरी चीजों का ध्यान न दें तो फिर मुश्किल हो सकती है. उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसलिए जरूरी कि दूध देने वाले पशुओं को ठंडा और साफ़ सुथरा पीने का पानी हर समय पशुओं को उपलब्ध कराना चाहिए. आम तौर पर एक स्वस्थ वयस्क पशु दिन में लगभग 75-80 लीटर तक पानी पी लेता है. चूंकि दूध में 85% तक जल होता है, अतः एक लीटर दूध देने के लिए डाई लीटर अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है. गर्मियों में पशु शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में पानी भी काम आता है.
पानी पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न अंगो तक पहुंचने तथा मूत्र द्वारा अवांछित एवं जहरीले तत्वों की निकासी के लिए उपयोगी है. दूध दोहन के 2 घंटे पहले पशु के शरीर और थन को धोएं तथा सुखएं. पशुओं को प्रतिदिन पानी से धोना चाहिए या दिन में पशु पर 15-20 मिनट के अंतर पर पानी छिड़कने से राहत मिलती है. गर्मी में भैंस तथा गाय को दो बार अवश्य नहलाना चाहिए. अधिक दूध देने वाली गाय या भैंस के लिए पशु शाला के अन्दर स्प्रिंकलर लगा सकते है.
तालाब में नहलाने का फायदा
भैंस के लिए तालाब होना महत्वपूर्ण है. जिसमे भैंस कुछ देर तक रह सके. यह किफायती है और इसमें किसी तरह के श्रम की आवश्यकता भी नहीं होती है. इससे भैंस की शारीरिक तापमान में कमी आती है. जब पशु पानी से बाहर आता है तो शारीरिक तापमान में तेज़ी से गिरावट आती है अतः पशु जब पानी से बाहर निकले तो उसे छाया में रखकर सुखाएं फिर आवश्यकता अनुसार गर्म जगह या धूप में रखें.
चारा प्रबंधन कैसे करें
गर्मी के समय पशुओं को हरा चारा देना चाहिए. पशुओं को प्रतिदिन सुबह वा शाम को दिन के ठंडे समय पर भूसा या दाना देना चाहिए. पशुओं को खनिज मिश्रण खिलाना महत्वपूर्ण है यह शरीर के पदार्थ को संतुलित बनाये रखते है. चारा और दाने का 70: 30 अनुपात कुल पशु खाद्य में रहना चाहिए. अच्छी गुणवत्ता के दाने का मिश्रण पशुओं को खिलाना चाहिए क्योंकि गर्मियों में पशु कम खातें है. दाने का मिश्रण बाज़ार से खरीद सकते है या घर में बना सकतें है.
कितना चारा देना होगा बेहतर
गेहूं का चोकर 20 फीसदी, चावल का चोकर 20 फीसदी, मकई 15 परसेंट, खली 25, अरहर की चूनी 10, मूंग की चूनी 5 और खनिज मिश्रण साधारण नमक, विटामिन, सिरा 5 फीसदी देना चाहिए. वहीं पशुओं को गर्मी के मौसम में सुबह या शाम को चराना चाहिए. दोपहर के समय पशुओं को नहीं चराएं. अगर संभव हो तो पशुओं को रात में चरा सकतें है. अगर ऊपर बताये गये बिन्दुओं को ध्यान में रखा जाए तो पशुओं को गर्मी के प्रभाव से बचा सकते है. इससे पशुओं का उत्पादन कम नहीं होगा और बीमारी से बचा सकते है.
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