नई दिल्ली. डेयरी फार्मिंग करने वाले किसानों की पहली कोशिश होती है कि उनका पशु ज्यादा से ज्यादा दूध का उत्पादन करे. ताकि उन्हें डेयरी फार्मिंग में मुनाफा कमाने का मौका मिले लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि सही तकनीक की जानकारी न होने की वजह से पशुपालक पशु के थन से पूरा दूध नहीं निकाल पाते हैं. इसके चलते पशुओं को कई समस्याएं होने का खतरा रहता है. आडर से पूरा दूध न निकलने की वजह से पशु का स्वास्थ्य खराब होता है और आगे चलकर दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. इसके अलावा थन में सूजन जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं. इसलिए जरूरी है कि पशु का दूध उत्पादन करते वक्त पूरा दूध निकाल लिया जाना चाहिए.
यह बात तो साफ हो चुकी है कि पशु का दूध उत्पादन पूरा न करने से उन्हें भी नुकसान होता है. जबकि पशुपालकों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि सही तरीका जान लिया जाए. हर पशुपालक को ये पता होना चाहिए कि किस तरीके से पशु का दूध उत्पादन किया जाए. इससे पशुओं को भी दिक्कत ना हो और पशुपालकों को भी भरपूर दूध मिल जाए और दूध से बाल्टी भर जाए. आइए इस बारे में जानते हैं.
इस तरह से निकालना चाहिए दूध
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि मिलकिंग करते वक्त सबसे पहले पशुपालक अपने हाथों में सरसों का तेल लगाते हैं और आसानी से दूध निकाला जा सके.
दूध बहुत ही आहिस्ता-आहिस्ता निकाला जाता है. ताकि थन में जितना भी दूध उत्पादित हुआ है वह बाल्टी के अंदर ट्रांसफर कर लिया जाए.
इसके अलावा एक दूसरे पशुपालक पशु की बॉडी को ऊपर से गर्म करता रहता है. इसे हाथों से मालिश करना भी कहा जा सकता है. ताकि पशु को सुकून मिलता रहे और वह आराम से दूध का उत्पादन करता रहे.
कई बार पशु के आगे फीड भी डाली जाती है. ताकि पशु एक तरफ खाता रहे और दूसरी तरफ उसका दूध उत्पादन किया जाता रहे. खासतौर पर गाय अक्सर फीड खाते-खाते ही दूध का उत्पादन करने में अच्छा महसूस करती है.
एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि पशु को दूध उत्पादन करते हुए कोई स्ट्रेस नहीं होना चाहिए. अगर स्ट्रेस रहेगा तो तो पूरा दूध उत्पादन नहीं होगा. इसलिए जरूरी है कि पशुओं कोई स्ट्रेस न दें.
पशु का दूध उत्पादन मुट्ठी बंद करके आहिस्ता-आहिस्ता करना चाहिए. जिससे थन में किसी तरह की कोई तकलीफ ना हो और पशु आसानी से दूध का उत्पादन कर दे. इस तरीके को अपनाने से पशु आसानी से दूध उतार देता है.
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