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Dairy News: मध्य प्रदेश में वृंदावन गांवों से आंगनबाड़ियों को जोड़ेगी सरकार, पढ़ें इसके फायदे

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नई दिल्ली. मध्य प्रदेश में आंगनबाड़ियों को अब वृंदावन ग्रामों से जोड़ा जाएगा. इसको लेकर सरकार ने काम शुरू करने की बात कही है. दरअसल, सरकार की ओर से ये कदम वृंदावन ग्रामों में गोपालन के तहत उत्पादित दूध की खपत को सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है. सरकार की ओर से कहा गया है कि दूध आंगनबाड़ियों को मुहैया कराया जाएगा. अब इस पर एक्शन प्लान तैयार करने की बात हो रही है. इस पर कार्ययोजना तैयार की जाएगी और गो उत्पादों की मार्केटिंग से लेकर बिक्री का प्लान भी बनेगा. इस पर काम शुरू हो गया है. हो सकता है कि अगले वित्तीय वर्ष तक अमल हो सकता है.

बता दें कि राज्य सरकार ने 313 ब्लॉक में एक-एक वृंदावन ग्राम तैयार करने का फैसला लिया है. कम से कम दो हजार की आबादी और कम से कम 500 गोवंश वाले गांव को वृंदावन ग्राम के तहत चयनित किया जा रहा है. सितंबर 2024 में सरकार ने वृंदावन ग्राम बनाने का निर्णय किया था. इसके बाद नीति भी तैयार की गई है.

जैविका खाद पर भी होगा काम
अब क्रियान्वयन के लिए गाइडलाइन दी गई है. सक्रिय ग्राम पंचायत वाले ग्राम को चयनित करना होगा. वृंदावन ग्राम में कृषि से लेकर गोपालन तक होगा. सात विभागों को सीधे तौर पर कनेक्ट किया गया है. गाय के उत्पादों की खपत आसान हो इसके लिए वृंदावन ग्राम को बड़े शहर के नजदीक ही चयनित किया जाना है. वहीं दूध, गोमूत्र, गोबर व जैविक खाद को लेकर कार्ययोजना पर काम होना है. दूध के लिए खपत के तौर पर आंगनबाड़ियों को भी रखा गया है. जिन वृंदावन ग्रामों में दूध उत्पादन ज्यादा होगा, वहां पर नजदीक की रहने वाली आंगनबाड़ियों में आपूर्ति को लेकर नियमावली बनेगी. नीति में प्रावधान किया जा चुका है.

313 गांवों को जोड़ा जाएगा
राज्य मंत्री, पशुपालन विभाग लखन पटेल ने बताया कि 313 वृंदावन गांव तैयार किया जाएगा. इसमें 7 से ज्यादा विभागों को जोड़ा जाएगा. वहीं प्लान के तहत 14 प्रकार के प्रमुख गायों के उत्पाद को शामिल किया जाएगा. गांवों की आबादी न्यूनतम दो हजार होनी चाहिए. वहीं इसमें 500 न्यूनतम गोवंश होना जरूरी है. गो-उत्पादों को लेकर कॉर्पोरेट कनेक्टिविटी से लेकर सोशल कनेक्टिविटी तक का रोडमैप है. गो उत्पाद बेचने में कॉपष्टि इंडस्ट्री का सहयोग लिया जाएगा. सामाजिक संस्थाओं को भी इससे जोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि बिक्री से लेकर बिक्री और खपत तक को लेकर प्लान है. इससे आर्थिक सशक्तीकरण की राह मजबूत होगी.

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