नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रदेश में पशुपालन और उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देने के लिए नन्द बाबा दुग्ध मिशन की शुरुआत की गई थी. इस मिशन के तहत राज्य में गौवंशीय पशुओं में नस्ल सुधार और दूध उत्पाकदता में वृद्धि करने के लिए तमाम जरूरी काम किये जा रहे हैं. इस संबंध में सरकार की ओर अधिकारियों को निर्देशित किया गया है. कहा गया है कि योजना से जुड़े निर्देशों का पालन किया जाए ताकि राज्य में प्रति पशु उत्पादकता में सुधार हो ताकि राज्य दूध उत्पादन में और ज्यादा सहयोग करे. इससे राज्य के किसानों के साथ-साथ देश को भी फायदा मिलेगा.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की अधिकांश आबादी ग्रामीण अंचलों में रहती है, जिसके लिए जिंदगी गुजारने का मुख्य सोर्स कृषि और पशुपालन है. मौजूदा वक्त में कृषि क्षेत्र के कुल योगदान में पशुपालन क्षेत्र का योगदान 29.3 प्रतिशत है, जो देश के सकल घरेलू GDP का लगभग 4.35 प्रतिशत है.
इन राज्यों से पीछे है यूपी
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश पशुधन विकास के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है और प्रदेश दूध उत्पादन के मामले में भी देश में प्रथम स्थान पर है लेकिन प्रदेश में प्रति पशु उत्पादकता कम है. प्रदेश में देशी गायों की उत्पादकता 3.6 किलोग्राम प्रतिदिन प्रतिपशु है. जबकि पंजाब एवं हरियाणा में प्रति पशु उत्पादकता इससे कहीं ज्यादा है. इसी प्रकार भैंसों की उत्पादकता प्रदेश में 5.02 किलोग्राम प्रतिदिन प्रति पशु है, जबकि पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में उत्पादकता अधिक है. सरकार की ओर से कहा गया है कि इसका मुख्य कारण प्रदेश में उच्च गुणवतायुक्त दुधारु पशुओं की कमी है. इसलिए आवश्यकता है कि पशुपालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास हेतु उन्नत नस्ल के अधिक से अधिक दुधारु गोवंश की इकाईयों स्थापित की जायें.
पशुपालकों को जाना पड़ता है बाहर
सरकार ने निर्देश में कहा है कि पशुपालन विभाग पशुधन के क्षेत्र में विकास के लिए उन्नत पशुपालन संसाधन तथा उन्नत प्रजनन, रोग नियंत्रण, चारा विकास, रोजगार सृजन आदि कार्यक्रम संचालित करता है लेकिन पशुपालकों को उच्च गुणवत्ता के पशु प्राप्त करने हेतु प्रदेश के बाहर जाना पड़ता है. इसी के दृष्टिगत नन्द बाबा दुग्ध मिशन के अन्तर्गत “नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना” के क्रियान्वयन का निर्णय लिया गया है. जिससे पशुपालकों की इस समस्या का हल निकाला जा सके.
जानें योजना क्या है फायदा
(1) प्रदेश में उच्च उत्पादन क्षमता के गोवंश को बढ़ावा दिया जाए.
(2) पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता में बढ़ोत्तरी की जाए.
(3) प्रदेश में पशुपालकों के लिए उच्च उत्पादन क्षमता के गोवंश को उपलब्ध कराया जाए.
(4) इस योजना के जरिए प्रदेश में बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किये जाएं.
(5) योजना के तहत पशुपालकों की आय को बढ़ाने के लिए काम किया जाए.
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