नई दिल्ली. डेयरी बिजनेस में भैंस का दूध बेचकर आजकल पशुपालक अपनी इनकम बढ़ा रहे हैं. वैसे तो भैंस पालन काफी पुराना रहा है. गांव हो या शहर डेयरी में अच्छी नस्ल की भैंस पालकर दूध की सप्लाई की जाती है. भैंस की अगर बात की जाए तो देश की कई नस्लें भैंस में पाई जाती हैं. आज हम जिस भैंस की बात कर रहे हैं वो एक देसी नस्ल है. ये है गोजरी भैंस, जिसे देसी भैंस के नाम से भी जाना जाता है. गुर्जर समुदाय द्वारा पाली जाने वाली एक भैंस की नस्ल है. यह मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है. दूध के साथ ही इस भैंस का घी भी काफी अच्छी मात्रा में बनता है. आइये जानते है इस भैंस के बारे में और अधिक जानकारी.
दूध की मांग हर क्षेत्र में बढ़ रही है. दूध की मांग को पूरा करने के लिए आज पशुपालन को सरकार बढ़ावा भी दे रही है. एक देसी भैंस के बारे में जानते हैं, वो कितना दूध देती है और उसकी क्या खासियतें हैं. यह भैंस हिमाचल प्रदेश के चंबा और कांगड़ा जिलों और पंजाब के होशियारपुर, गुरुदासपुर, रोपड़, पठानकोट और एसएएस नगर (मोहाली) में पाई जाती है.
गोजरी भैंस के बारे में: गोजरी भैंस की दुग्ध उत्पादन क्षमता अधिक होती है और यह 800 से 1200 लीटर तक दूध दे सकती है. ये गुर्जर समुदाय द्वारा पाली जाने वाली एक भैंस की नस्ल है. गोजरी भैंस की ये नस्ल मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश और पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों में मिलती है. गोजरी भैंस की दूध देने की क्षमता अच्छी होती है. उत्पादन क्षमता अधिक होती है और यह 800 से 1200 लीटर तक दूध दे सकती है.
पहाड़ी इलाको के लिए है अच्छी: गोजरी भैंस पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अनुकूल है और वहां के जलवायु और पर्यावरण में आसानी से जीवित रह सकती है. यह भैंस चरने वाली होती है और मौसम के अनुसार माइग्रेट करती है. जैसा कि उसके नाम में शामिल हैं, यह भैंस गुर्जर समुदाय द्वारा पाली जाती है और इसी समुदाय के नाम पर इसका नाम गोजरी पड़ा है.
दूध की क्षमता: गोजरी भैंस दूध उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण नस्ल है और इसके दूध में वसा और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है. एक भैंस दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है और इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता 800 से 1200 लीटर तक होती है. यह भैंस गुर्जर समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति है और यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. गोजरी भैंस का प्रयोग कृषि कार्य में भी किया जाता है.
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