Home पशुपालन Native Breeds of Ladakh: लद्दाख की पहचान है चांगथांगी भेड़
पशुपालन

Native Breeds of Ladakh: लद्दाख की पहचान है चांगथांगी भेड़

भाकरवाल भेड़ से प्राप्त ऊन बहुत नरम और मुलायम होती है, जिसे लोई के नाम से जाना जाता है.
भाकरवाल भेड़.

नई दिल्ली. भेड़ पालन व्यवसाय कम खर्च में शुरू हो जाता है. दरअसल भेड़ पालने के लिए महंगे घर या शेड की जरूरत नहीं होती है. इनका आहार भी काफी सरल होता है. भेड़ पालन सरल इसलिए है. क्योंकि भेड़ आकार में छोटी होती है. कम जगह में आराम से रह सकती हैं. जल्दी-जल्दी बड़ी हो जाती हैं. इतना ही नहीं यह मौसम के हिसाब से खुद को ढाल लेती हैं.पेड़, घास खिलाकर भेड़ पाली जा सकती हैं. इसको पालने से मुनाफा भी ठीक-ठाक हो जाता है. आज बात कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर लद्दाख की भेड़ों की नस्ल की. ये है चांगथांगी भेड़ और भाकरवाल भेड़. इन भेड़ों से ऊन, मांस और दूध का बिजनेस किया जा सकता है. चांगथांगी भेड़ को चांगपा जनजाति द्वारा पाला जाता है, जो लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में रहती है.

भाकरवाल भेड़ से प्राप्त ऊन बहुत नरम और मुलायम होती है, जिसे लोई के नाम से जाना जाता है. भाकरवाल भेड़ें खानाबदोश जनजातियों द्वारा पाली जाती हैं और इनका कोई अलग घर नहीं होता, बल्कि ये प्रवासी होती हैं. चांगथांगी भेड़ लद्दाख के ठंडे और शुष्क जलवायु में रहने के लिए अनुकूलित है. चांगथांगी भेड़ की ऊन मध्यम प्रकार की होती है और इसके रेशे में अंतर होता है.

जानिए भाकरवाल भेड़ के बारे में खास बातें: भाकरवाल भेड़ एक खास किस्म की भेड़ है जो हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है. ये जम्मू और कश्मीर में पाई जाती है. यह भेड़ अपने उत्तम किस्म के ऊन के लिए जानी जाती है. जिसे लोई कहा जाता है. इसका उपयोग ऊनी शॉल बनाने के लिए किया जाता है. यह भेड़ पूरी तरह से प्रवासी है और इसका कोई निश्चित घर नहीं है. ये भेड़ हिमालय क्षेत्र के जंगलों में पाई जाती हैं. ऊन के अलावा, भाकरवाल भेड़ का मांस भी खाया जाता है.

चांगथांगी भेड़: चांगथांगी भेड़ लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र की एक विशिष्ट नस्ल है. भेड़ की ये नस्ल ऊन के लिए जानी जाती है. यह भेड़ ऊन उत्पादन के लिए अच्छी मानी जाती है और चांगपा लोगों के लिए आजीविका का एक सोर्स है. चांगथांगी भेड़ लद्दाख के ठंडे और शुष्क जलवायु में रहने के लिए अनुकूलित होती है. चांगथांगी भेड़ की ऊन मध्यम प्रकार की होती है और इसके रेशे में अंतर होता है. वयस्क मेढ़े का वजन 50-70 किलोग्राम और भेड़ियों का वजन 35-50 किलोग्राम होता है. अधिकांश जानवर सफेद रंग के होते हैं. इस भेड़ से प्रति वर्ष प्रति पशु 1 से 1.5 किलोग्राम ऊन का उत्पादन होता है.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Goat Farming, Goat Farm, CIRG, Pure Breed Goat
पशुपालन

Goat Farming: बारिश में बकरियों का ऐसे रखे ख्याल तो नहीं लगेगी कोई बीमारी, पढ़ें डिटेल

अगर बकरियों को ठीक से आहर दें तो स्वास्थ्य ठीक रह सकता...

livestock animal news
पशुपालनसरकारी स्की‍म

Animal Husbandry: यूपी में खुरपका-मुंह पका रोग को रोकने को महाअभियान, करा रहे वैक्सीनेशन

पशु विभाग की टीमें गांव-गांव पहुंचकर गोवंशीय और पशुओं का टीकाकरण कर...

barbari goat, Goat Breed, Bakrid, Sirohi, Barbari Goat, Goat Rearing, CIRG, Goat Farmer, Moringa, Neem Leaf, Guava Leaf, goat milk, milk production
पशुपालन

Animal Husbandry: गर्भावस्था और प्रसव के दौरान इन बातों का जरूर ख्याल रखें बकरी पालक

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के मुताबिक इन बकरियों को ब्याने...

तोतापरी की बकरी के पालन में बहुत ही कम लागत आती है. तोतापुरी या तोतापरी बकरी कम लागत में पालकर मोटी कमाई की जा सकती है.
पशुपालन

Goat Farming: कितने वक्त के लिए हीट में रहती है बकरी, क्या है इसकी पहचान, जानें यहां

हीट में आई बकरियों की मदकाल (गर्मी) में आने के 10-12 घण्टे...