नई दिल्ली. देश में गाय पालन एक बेहतरीन बिजनेस है. देसी गाय के दूध की पौष्टिकता को देखते हुए इसकी मांग बहुत ज्यादा है. छोटे बच्चों को भी डॉक्टर मां के दूध के बाद गाय का दूध देने की सलाह देते हैं. ऐसे में पशुपालक गाय का पालन करके अच्छी कमाई कर सकते हैं. पशुपालन करने वाले ज्यादातर पशुपालक पशुओं का पालन दूध के लिए करते हैं. दूध बेचकर ही उनकी कमाई होती है. ये अलग बात है कि बहुत से पशुपालकों के पास कम पशु होते हैं तो कुछ के पास ज्यादा. बात जब गाय पालन की जाती है तो इसका सीधा सा मतलब है कि दूध का उत्पादन. पशुपालकों की नजर हमेशा ही ऐसी गायों पर होती है जो ज्यादा दूध का प्रोडक्शन करें और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा हो. अगर ये दो क्वालिटी गायों में होती है तो फिर उत्पादन भी बेहतर मिलता है और इससे पशुपालकों को ज्यादा फायदा होता है.
आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान की एक ऐसी नस्ल की जो दूध और घी के लिए मशहूर है. आइये जानते हैं राजस्थान की नागौरी नस्ल के बारे में. इसके दूध में वसा 4.9 प्रतिशत होती है. इस नस्ल के बैल अच्छे भारवाहक होते हैं.
नागौरी नस्ल राजस्थान की नागौर जिले में पाली जाने वाली गाय है. इस नस्ल का रंग हल्का लाल सफेद और हल्का जमुनी होता है. एक बार मां बनने के बाद 600 से 1000 लीटर तक दूध देती है.
ये हे नागौरी नस्ल की पहचान: नागौरी नस्ल राजस्थान की नागौर जिले में पाली जाने वाली गाय है. इस नस्ल का रंग हल्का लाल सफेद और हल्का जमुनी लिए होता है. एक बार मां बनने के बाद 600 से 1000 लीटर तक दूध देने की क्षमता होती है. इसके दूध में वसा 4.9 फीसदी होती है. इस नस्ल के बैल ज्यादा भार उठाने के लिए जाने जाते हैं.
नागौरी बैल के बारे में ये है खासियत: नागौरी बैल का सिर घोड़े की तरह मुख पतला और संकरा होता है. आंखें छोटी हिरन जैसी चमकदार होती हैं और कानों का आकार मध्यम व हल्का गुलाबी होता है. इनकी पूछ नीचे पैरों तक होती हैं. लंबे व सीधे छोटे खुर होते हैं और बहुत ही मजबूत भी होते हैं. नागौरी बैल विश्व में इसलिए प्रसिद्ध है, क्योंकि इसमें घोड़े जैसी फुर्ती होती है. इनकी काठी व सुंदरता के लिए भी देखा जाता है. नागौरी बैल की जोड़ी में बोझ उठाने की क्षमता 20 कुंतल से अधिक होती है.
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