नई दिल्ली. शहर हो या देहात हर जगह दूध की मांग आजकल बढ़ती जा रही है. दूध की मांग को पूरा करने के लिए देश के कई राज्यों में पशुपालक डेयरी का बिजनेस कर रहे हैं. वहीं गौशालाएं भी विभिन्न राज्यों में संचालित की जा रही हैं. पशुओं के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) कई सारी योजनाएं चला रहा है. गौशालाओं से कैसे मुनाफा लिया जाए, इसके लिए एडीडीबी के चेयरमैन ने फार्मूला दिया है. हाल ही में
एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉक्टर मीनेश सी. शाह ने एनडीडीबी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नार में गोकुलधाम मंदिर का दौरा किया. यहां साधु सुकदेवप्रसाददास जी से मुलाकात की.
डॉ. शाह ने यहां पर पशु प्रजनन, स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में वैज्ञानिक हस्तक्षेप के माध्यम से गौशालाओं को टिकाऊ बनाने, दूध उत्पादन बढ़ाने और बायोगैस उत्पादन और जैविक खाद उत्पादन के माध्यम से गोबर का प्रभावी उपयोग करने के लिए एनडीडीबी द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी साझा की.
गौशाला में रहते हैं करीब 150 पशु: डॉ. शाह ने गोकुलधाम परिसर का भी दौरा किया. गोकुलधाम परिसर में एक भव्य मंदिर बना हुआ है. वहीं यहां वृद्धाश्रम की भी व्यवस्था है. गोकुलधाम परिसर में खेल परिसर, बच्चों का छात्रावास है और यहां पर एक गौशाला भी संचालित हो रही है. इस गौशाला में लगभग 150 गिर पशु रहते हैं. इन पशुओं से दूध और उसके जुड़े उत्पाद मिलते हैं. गौशाला में चारे की समस्या को कैसे दूर किया जाए और पूरे साल पशुओं को किस विधि से चारा उपलब्ध कराया जाए, इस पर बातचीत की गई.
पशुओं के स्वास्थ्य पर योगदान का आश्वासन: गोकुलधाम गौशाला में निरीक्षण करने पर डॉ. शाह ने यहां पर आधुनिक प्रजनन तकनीकों को अपनाने की बात पर चर्चा की. गौशाला के रहने वाले पशुओं को कैसे पूरे साल अच्छा चारा मिले, इस पर भी बातचीत की. डॉ. शाह ने बेहतर चारा उत्पादन और साइलेज बनाने जैसी संरक्षण प्रथाओं के माध्यम से पशु उत्पादकता में सुधार करने में गौशाला को पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि एनडीडीबी अपनी सहायक कंपनी की सीएसआर पहल के माध्यम से गौशाला में सभी पशुओं के पूर्ण टीकाकरण और कृमि मुक्ति की सुविधा प्रदान करेगी, जिससे बेहतर पशु स्वास्थ्य और समग्र प्रबंधन में योगदान मिलेगा.
बायोगैस उत्पादन में है महत्वपूर्ण भूमिका: राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) बायोगैस उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. जिसका उद्देश्य बायोगैस के उत्पादन को बढ़ावा देना है. जैविक खाद का उत्पादन बढ़ाना है और डेयरी किसानों को ऊर्जा प्रदान करना है. डॉ. शाह ने मणिपुर राज्य के छात्रों से भी मुलाकात की और उनके साथ बातचीत की.
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