नई दिल्ली. आइस क्रीम का चलन लगातार बढ़ता ही जा रहा है. अब आइसक्रीम सिर्फ गर्मी में ही नहीं बल्कि सर्दी में भी खूब खाई जा रही है. मगर, बाजार में बिक रहीं आइसक्रीम कितनी हेल्दी है ये बढ़ा सवाल है. पता नहीं बाजार में मिल रहीं आइसक्रीम में कितनी प्रोटीन, कैल्सियम है, मगर अब एक ऐसी आइसक्रीम लोगों को खाने को मिलेगी, जो प्रोटीन से भरपूर होगी. इस आइसक्रीम को राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान यानी एनडीआरआई के वैज्ञानिकों द्वारा से अत्यधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाकर तैयार की है. इस हाई प्रोटीन आइसक्रीम की बाजार में डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. ये आइसक्रीम बच्चों में कुपोषण को भी खत्म करने का काम करेगी.
प्रोटीन एक महत्वपूर्ण तत्व है जो हमारे के शरीर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अनुसार, एक वयस्क को लगभग 0.8-1 का सेवन करना चाहिए. स्वस्थ जीवन के लिए प्रति किलो शरीर के वजन के हिसाब से ग्राम प्रोटीन, हालांकि, प्रोटीन खपत का वास्तविक मूल्य 18 वर्ष के आयु वर्ग के भारतीयों के लिए आदर्श शारीरिक वजन 0.6 ग्राम प्रति किलोग्राम के करीब है. शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए प्रोटीन की मात्रा, प्रोटीन की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण है.
मांसपेशियों के विकास के लिए प्रोटीन बेहद जरूरी
भारतीय आहार में उपयोग किए जाने वाले पौधे आधारित मुख्य खाद्य पदार्थों में एक या अधिक आवश्यक अमीनो एसिड की कमी होती है, दूध प्रोटीन की तुलना में इसकी पाचनशक्ति और जैवउपलब्धता कम होती है.उच्च उपभोक्ता मांग वाले शाकाहारी खाद्य पदार्थों में बेहतर गुणवत्ता वाले प्रोटीन की पूर्ति की आवश्यकता. दूध से प्राप्त मट्ठा प्रोटीन को पेशेवर लोगों के लिए ‘प्रोटीन का स्वर्ण मानक’ माना जाता है. ‘मजबूत सुगठित’ मांसपेशियों के विकास और रखरखाव के लिए प्रोटीन बेहद जरूरी है.
बाजार में लगातार बढ़ रही डिमांड
इसक्रीम सबसे लोकप्रिय डेयरी मिठाई है जिसका सेवन लगभग सभी वर्गों द्वारा किया जाता है. हालिया एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय आइसक्रीम के हर आदमी तक पहुंचने की उम्मीद है. 2026 तक लगभग INR 442 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है. हाईप्रोटीन के कारण उपभोक्ताओं में इस आइसक्रीम की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है. आइसक्रीम को एनडीआरआई वैज्ञानिकों द्वारा अत्यधिक पौष्टिक बनाया है.मांसपेशियों को मजबूत करने वाला ‘व्हे प्रोटीन’ बाजार में उपलब्ध पारंपरिक आइसक्रीम में शामिल हैं. केवल 4% प्रोटीन जो मट्ठा प्रोटीन का लगभग 0.8% है.
रिसर्च के दौरान आईं बाधाओं को ऐसे किया दूर
उच्च प्रोटीन आइसक्रीम एनडीआरआई के डेयरी प्रौद्योगिकी विभाग में विकसित किया गया है.आइसक्रीम में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाना आसान नहीं था. अनुसंधान के प्रारंभिक चरणों के दौरान कार्य और कई गुणवत्ता संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन वैज्ञानिकों की लगातार मेहनत और लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें कामयाबी हासिल की. वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा तीन वर्षों तक लगातार रिसर्च के बाद इसमें कामयाबी हासिल की. इस हाईप्रोटीन आइसक्रीम को विकसित करने वाली टीम में डॉक्टर. एसए.हुसैन, डॉ. ऋतधाम प्रसाद और डॉ. योगेश खेत्रा शामिल रहे. विद्वान सुचिस्मिता रॉय और सोनम ने आइसक्रीम के कोलाइडल पहलुओं को बनाया. गुणवत्ता संबंधी दोषों को दूर करने के लिए संरचना और उपभोक्ता के लिए स्वीकार्य उच्च प्रोटीन आइसक्रीम तैयार की गई. जिसमें नियमित आइसक्रीम के समान संवेदी गुणवत्ता होती है. ये पूरी रिसर्च डेयरी प्रौद्योगिकी प्रभाग के प्रमुख डॉ. लता सबिखी और डॉ. ए.के सिंह एवं संयुक्त निदेशक शैक्षणिक डॉ. आर.आर.बी. सिंह द्वारा निगरानी में किया गया.
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