नई दिल्ली. देश में झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं. झींगा पालन में आने मुश्किलों और उसका हल जानने के लिए छात्रों के एक ग्रुप ने झींगा फार्मों का एक्सपोजर विजिट किया. दरअसल, MPEDA-NaCSA ने MY भारत पहल के हिस्से के रूप में 11 मार्च को “NaCSA एक्वा वन सेंटर और झींगा फार्मों का एक्सपोजर विजिट” नामक एक कार्यक्रम आयोजित किया था.
बताया कि इस प्रोग्राम का मकसद विजिट करने वाले युवाओं को जलीय कृषि के क्षेत्र से परिचित कराना था. इस उद्देश्य के तहत आयोजित हुए इस कार्यक्रम में 32 छात्रों ने भाग लिया था. इसमें वीएसआर में जूलॉजी, एक्वाकल्चर और बायोटेक्नोलॉजी का अध्ययन करने वाले शामिल थे. सरकार डिग्री एवं पी.जी. कॉलेज मोव्वा और सरकार कृष्णा जिले में डिग्री कॉलेज अवनिगड्डा इन कॉलेजों के संकाय सदस्य उनके साथ थे.
एक्सपर्ट ने रखी अपनी राय
बताया गया कि प्रतिभागियों ने कृष्णा जिले के कोडुरु गांव में NaCSA एक्वा वन सेंटर का दौरा किया. केंद्र के तकनीकी कर्मचारियों ने जल गुणवत्ता विश्लेषण, सूक्ष्मजीवविज्ञानी तकनीक, पीसीआर टेस्ट मेथड और उपकरण के इस्तेम सहित विभिन्न जलीय कृषि एक्टीविटी पर एक्सपर्ट ने अपनी राय रखी और जिसका फायदा विजिट करने वाले छात्रों को मिला. समूह ने उल्लीपलेम गांव में एम. सुब्रमण्यम के स्वामित्व वाले झींगा फार्म का भी दौरा किया.
बीमारियों के बारे में सीखा
इस दौरान NaCSA के अधिकारियों ने झींगा पालन के विभिन्न कंपोनेंट्स जैसे जलीय कृषि में महत्वपूर्ण जैवसुरक्षा उपाय, जल गुणवत्ता पैरामीटर, चारा प्रबंधन और पालन के दौरान रोग प्रबंधन के बारे में बताया. इस दौरान छात्रों को बताया गया कि किस तरह से झींगा पालन के दौरान बीमारी इस व्यापार को नुकसान पहुंचाती है. झींगा की बीमारियों के लक्षण, बीमारियां क्यों होती हैं और इन बीमारियों से झींगा को कैसे बचाया जा सके इसके बारे में भी जानकारी उपलब्ध कराई गई.
चारा मैनेजमेंट के बारे में भी जाना
वहीं छात्रों ने झींगा व्यापार में चारा मैनेजमेंट पर भी एक्सपर्ट से सवाल किए. जिसको लेकर तमाम जानकारी उनके साथ साझा की गई. अधिकारियों ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत विजिट करने वाले छात्रों के लिए ये विजिट बहुत ही बेहतर रही. उन्हें कई अहम जानकारी से रूबरू होने का मौका हासिल हुआ.
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