नई दिल्ली. पशुगणना 2024 की शुरुआत हो गई है. ये गणना फरवरी 2025 तक जारी रहेगी. मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने इस बात का ऐलान किया है. उन्होंने बताया कि पशुओं की गितनी पर इस बार 200 करोड़ रुपये खर्च होंगे. पशुओं की विभिन्न प्रजातियों की गिनती करने के लिए सरकार की ओर से एक लाख कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया गया है. इन्हीं कर्मचारियों पर पशुओं की सटीक गिनती करने की जिम्मेदारी होगी. गितनी करने के लिए पहली बार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा.
बताते चलें कि पिछली बार साल 2019 में पशुओं की गणना की गई थी लेकिन इस साल होने वाली गणना में कई अहम बदलाव भी देखने को मिलेंगे. पशुगणना में लगे एक लाख कर्मचारी टेक्नोलॉजी की मदद से यानि मोबाइल एप के जरिए पशुओं की गितनी करेंगे. सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि मोबाइल एप की मदद से गिनती में एक्यूरेसी आएगी. गिनती में आसानी भी होगी.
इन पशुओं की इतनी प्रजातियों की होगी गिनती
आपको बता दें कि 21वीं पशुगणना में कैटल की 53 प्रजातियों की गिनती की जाएगी. जबकि भैसों की 20 प्रजातियों को भी गिनती में शामिल किया गया है. वहीं भेड़ों की 45 प्रजातियों की गितनी होगी. बकरियों की 39 ब्रीड को गिना जाएगा. घोड़े की 8, गधे की तीन और कैमल की यानी ऊंट की 9 प्रजातियों की भी गिनती होगी. पशुपालन मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि इन प्रजातियों को पशु गणना 2024 में शामिल किया गया है. इसके अलावा सूअर की 14, कुत्ते की तीन, चिकन की 20, बत्तख की तीन, गीस की एक और याक की एक प्रजाति की भी काउंटिंग होना है.
सर्विलांस और लेबोरेटरी नेटवर्क होगा डेवलप
21वीं गणना में पशुधन जनगणना में पर्यवेक्षक डेटा संग्रह प्रक्रिया की देखरेख करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. जिला नोडल अधिकारी डेटा की गुणवत्ता और फैड कार्य की समयबद्ध प्रगति सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे. बताते चलें कि पशुओं की गिनती में 200 करोड़ रुपये से सर्विलांस सिस्टम डेवलप किया जाएगा. देशभर में लेबोरेटरी नेटवर्क को बनाया जाएगा. वहीं पशुओं के ट्रीटमेंट पर भी काम होगा. बीमारियों के खतरे को देखते हुए दूसरे राज्यों से बैठकर बात होगी. कैसे बीमारियों को रोका जाए, इसपर चर्चा होगी.
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