नई दिल्ली. छोटे-छोटे तालाबों जिनकी गहराई 1 से 2 मीटर रहती है. उसमें मछली पालन के साथ-साथ सिंघाड़े की खेती भी की जा सकती है. सिंघाड़ा एक खाद्य पदार्थ है, जो बारिश के शुरू होते ही तालाबों की सफाई कर सिंघाड़े के छोटे पौधे (रोपा) तालाब की तली में लगाया जाता है और अक्टूबर से फरवरी तक इसकी फसल ली जाती है. सिंघाड़े की खेती से जहां मछलियों को अतिरिक्त भोजन प्राप्त होता है, वहीं मछली पालन सिंघाड़े की ग्रोथ में सहायक होता है. सिंघाड़े की पत्तियां और शाखाएं, जो समय-समय पर टूटती हैं, वें मछलियों के भोजन के काम आती हैं. ऐसे तालाबों में मृगल एवं कालबासू मछली अधिक बढ़ती हैं.
पौधे के वह भाग जो मछलियां नहीं खाती हैं वे तालाब में बंटकर तालाब की उत्पादकता बढ़ाती है, जिससे प्लवका (प्लैंक्टन) की ग्रोथ होती है, जो कि मछलियों का प्राकृतिक भोजन है. मछली सहित सिंघाड़ा की खेती (प्लैंक्टन) से जहां 1000-1200 किलोग्राम सिंघाड़ा हासिल होगा दूसरी ओर 1500 किलोग्राम मछली का उत्पादन होगा.
तालाब की तैयारी कैसे करें
मछली के साथ सिंघाड़ा की खेती करने के लिए छोटे तालाब जलक्षेत्र 0.5 हेक्टर से 1 हेक्टर का होना चाहिए और गहराई 1.5 से 2 मीटर तक उपयुक्त है. बारहमासी तालाब के लिए अवांछित मछलियों को बार-बार जाल चलवाकर सफाई करनी चाहिए. यदि पूरी सफाई संभव न हो तो 2500 किलोग्राम प्रति हेक्टर महुआ खली डालकर अवांछित मछली निकाली जा सकती है. जलीय वनस्पति की सफाई करा लें. तालाब में गोबर खाद प्रति माह किस्तों में डालें, मछली पालन के लिए तालाब की तैयारी पहले बताई गई विधि की तरह करना चाहिए.
सिंघाड़ा पौध रोपण करने का तरीका
सिंघाड़े की बीज किसी नर्सरी में डालकर पौधे तैयार करते हैं. बारिश आने पर जुलाई में सिंघाड़े का पौधरोपण 3-4 फिट गहरे पानी में तालाब के तल में लगाना चाहिए. मछली का निष्कासन सिंघाड़े के फसल लेने के बाद करना चाहिए. मत्स्य बीज का संचयन प्रतिशत कतला, रोहू, मृगल 3:25 के अनुपात में करना चाहिए. प्रति हेक्टर 3500 मत्स्य अंगुलिकाएं (50-60 मिमी लम्बी) संचयन करें. बाढ़ के लिए कृत्रिम आहार के रूप में सरसों या मूंगफली की खली और चावल का कोढ़ा 1:1 के अनुपात में मिलाकर मछलियों के वजन का 2 प्रतिशत देना चाहिए.
कब निकालना चाहिए फसल
सिंघाड़ा अक्टूबर से जनवरी फरवरी तक निकाल लेना चाहिए उसके बाद मछली को तालाब से बाहर निकालना शुरू करना चाहिए. सिंघाड़े के साथ मछली पालन से सिंघाड़े का उत्पादन 1000 से 1200 किलोग्राम और 1500 किलोग्राम मत्स्य उत्पादन ले सकते हैं.
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