नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में ग्रामीण इलाके में रहने वाले लोग कई तरह से फायदा उठा सकते हैं. कृषि के साथ इसे करने पर अलग से पैसा कमाया जा सकता है. वहीं इमरजेंसी मुर्गियों को बेचकर भी पैसा इकट्ठा किया जा सकता है. जबकि ये पारिवारिक स्वास्थ्य एवं पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मेहमानों की खातिरदारी और शादी विवाह में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. कहने का मतलब है कि ये कई तरह से फायदेमंद है. एक्सपर्ट का कहना है कि ग्रामीण इलाके में बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग करके कमाई जा सकती है और किसानों को इसे अपनाना चाहिए.
बताते चलें कि देशी मुर्गियां कई बीमारी एवं बदलते मौसम की मार का सामना करती है. साथ ही विदेशी मुर्गियों के सामने देशी मुर्गी एक अच्छी मां होती हैं, जो अपने अंडों को सेहती है और चूजों को अपने साथ लिये घूमती है. उनके लिए खाना इकट्ठा करती है. देशी मुर्गी में सभी गुण आदिवासी जीवन शैली के लिए बहुत उपयुक्त होने के कारण दोनों का सदियों का साथ रहा है.
महिलाएं कर सकती हैं कमाई
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में आदिवासी ग्रामीण महिलाओं को वर्षों से ये सिखलाने की कोशिश की जा रही है कि वो पोल्ट्री फार्मिंग के जरिए कमाई कर सकती हैं. वहीं पोेल्ट्री फार्मिंग कुक्कुट पालन इनका पारिवारिक आय का सोर्स भी बना है. एक्सपर्ट का कहना है कि घर में महिलाएं तमाम कामों को करने के साथ—साथ पोल्ट्री फार्मिंग कर सकती हैं. इससे वो अपने लिए और अपने परिवार के लिए इनकम का एक और जरिया बना लेंगी. जबकि देशी मुर्गियों के अचछे दाम मिलने के कारण उन्हें अच्छी कमाई होती है.
बाजार में मिलता है अच्छा रेट
वहीं खुली में पाली जाने वाली देशी मुगियों की बाजार में अच्छी मांग होती है. ज्यादा दाम भी मिलता है. बताते चलें कि पशुपालन विभाग से जुड़े हुए लोग विकास परियोजना के तहत पोल्ट्री फार्मिंग के लिए स्वास्थ्य सेवायें भी उपलब्ध कराते हैं और ट्रेनिंग भी देते हैं. इनकी सेवायें सस्ती दर पर घर पहुंच, निरंतर एवं स्थानीय स्तर पर होने के कारण प्रदेश में घरेलू पोल्ट्री फार्मिंग के क्षेत्र में एक मील का पत्थर माना गया है. वहीं इससे पोल्ट्री फार्मिंग करने में लोगों की रुचि बढ़ी है और लोग इससे जुड़े हैं.
जिंदगी में होगा सुधार
एक्सपर्ट का कहना है कि ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता होने के साथ-साथ कुशल विस्तार कार्यकर्ता भी हैं. इन्हें पोल्ट्री पालन के क्षेत्र में ट्रेनिंग इसका और ज्यादा विस्तार किया जा सकता है. इससे ग्रामीण इलाकों में खासकर गरीब और आदिवासी लोग अपनी जिंदगी में कई सुधार कर सकते हैं. बस जरूरत इस बात की है कि उन्हें सही से ट्रेनिंग दी जाए.
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