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Poultry Business: अंडे और चिकन का बिजनेस करने जा रहे हैं तो पहले पढ़ लें ये जरूरी टिप्स

उचित वेस्ट मैनेजमेंट प्रैक्टिस पोल्ट्री फार्मिंग के उप-उत्पादों को मूल्यवान संसाधनों में बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, खाद को जैविक उर्वरकों या बायोगैस में संसाधित किया जा सकता है,
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. अगर आप अंडे और चिकन से अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो ये खबर आपके काम की है. इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं, कि किन जरूरी चीजों के बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए. देश में आज पोल्ट्री फार्मिंग अब सिर्फ एक विकल्प नहीं बल्कि बिजनेस बन गया है. वेस्ट रिसाइकिलिंग, अच्छा रिसोर्स मैनेजमेंट सटीक खेती करके अब पोल्ट्री के ब्राडों की मांग बढ़ती जा रही है. इसे पूरा करते हुए पर्यावरण प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकता है. किसान, उपभोक्ता और प्रोडेक्शन मिलकर पोल्ट्री फार्मिंग में बेहतर भविष्य बना सकते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान

  1. रिसोर्स मैनेजमेंट

पानी, बिजली और चारा जैसे संसाधनों का अच्छा उपयोग स्थायी पोल्ट्री फार्मिंग के लिए जरूरी है. आटोमेटिक फीडिंग सिस्टम और पानी जैसी तकनीकें वेस्ट को कम करती हैं और पक्षियों को पर्याप्त पोषण और जल मिले, ये तय करती हैं. सौर पैनल जैसे ऊर्जा उपकरण पोल्ट्री घरों को बिजली दे सकते हैं, जिससे कार्बन फुटप्रिंट में काफी कमी आती है.

  1. वेस्ट मैनेजमेंट

उचित वेस्ट मैनेजमेंट प्रैक्टिस पोल्ट्री फार्मिंग के उप-उत्पादों को मूल्यवान संसाधनों में बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, खाद को जैविक उर्वरकों या बायोगैस में संसाधित किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण कम होता है और किसानों के लिए अतिरिक्त आय उत्पन्न होती है। बिस्तर सामग्री का पुनर्चक्रण और उपचारित अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग स्थिरता को और बढ़ाता है।

  1. सटीक खेती तकनीक अपनाना
    सटीक खेती पोल्ट्री स्वास्थ्य, वातावरण की स्थिति और फार्मिंग की निगरानी के लिए IoT डिवाइस, सेंसर और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का लाभ उठाती है. ये उपाय किसानों को समय पर इनफॉमेशन लेने, संसाधन उपयोग को प्रतिबंधित करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने की अनुमति देते हैं.
  2. पशु कल्याण को बढ़ावा देना
    पोल्ट्री फार्मिंग पशुओं के उच्च मानकों को तय करने के साथ-साथ चलती है। पर्याप्त जगह, उचित वेंटिलेशन और नेचुरल लाइट का इंतजाम करने से पक्षियों की हेल्थ और उत्पादकता में सुधार होता है. खेती की प्रथाएं उपभोक्ता की प्राथमिकताओं के साथ भी होती हैं, जिससे जिम्मेदारी से पोल्ट्री उत्पादों की बाज़ार में मांग बढ़ती है.
  3. एंटीबायोटिक का उपयोग कम करना
    पोल्ट्री खेती में एंटीबायोटिक का अधिक डिपेंड नहीं रहना चाहिए. पशुओं को दिए जाने वालीं एंटीबायोटिक पूरे देश की समस्या हैं. प्रोबायोटिक्स, हर्बल सप्लीमेंट्स और बेहतर जैव सुरक्षा उपायों का उपयोग शामिल करें, ताकि पक्षियों के स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए एंटीबायोटिक की आवश्यकता को कम किया जा सके.
  4. इंटीग्रेटेड फार्मिंग
    पोल्ट्री को इंटीग्रेटेड फार्मिंग से जोड़ने पर जानवरों और पौधों के बीच एक रिलेशन बनता है. पेड़ों के आवरण वाली फ्री-रेंज प्रणालियां पक्षियों के लिए छाया प्रदान करती हैं, जैव विविधता को बढ़ाती हैं और मिट्टी के सेहत सुधारती हैं. यह सोच कृषि उत्पादकता को बनाए रखते के लिए पर्यावरणीय स्थिरता का समर्थन करता है.
  5. किसानों को शिक्षित और सशक्त बनाना
    ट्रेनिंग और अवेयरनेस प्रोग्राम से किसानों को मजबूत बनाया जा सकता है. वर्कशॉप, नोलेज को शेयर करे प्लेटफ़ॉर्म और सरकारी प्रोत्साहन किसानों को पर्यावरण के अनुकूल इनोवेशन को अपनाने और बिजनेस के कंपटीशन बने रहने के लिए प्रमोट करते हैं.
  6. उपभोक्ता अवेयरनेस और मांग
    उपभोक्ता प्राथमिकताएं पोल्ट्री उत्पादों की ओर तेज़ी से बढ़ रही हैं. पारदर्शिता और पर्यावरण के प्रति जागरूक प्रथाओं को अपनाने वाले किसान प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर सकते हैं, मार्केट की डिमांड को पूरा कर सकते हैं और वैश्विक स्थिरता टारगेट में योगदान दे सकते हैं.

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