नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्म के बिजनेस में सेहतमंद मुर्गियों का होना बेहद जरूरी होता है. मुर्गियों की हैल्थ अच्छी रहेगी तो पोल्ट्री में अच्छा मुनाफा भी तंदरुस्त मुर्गियां ही देंगी. अगर पोल्ट्री फार्म में कोई बीमारी लग जाती है तो नुकसान का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए मुर्गी पालन में सबसे जरूरी है मुर्गियों की सेहत की देखभाल करना. पोल्ट्री फार्म में किसी भी प्रकार के रोग को आने से पहले उसकी रोकथाम बेहद जरूरी है और इसके लिए जरूरी है पोल्ट्री की बीमारियों की जानकारी. अगर आप ने भी पोल्ट्री का बिजनेस शुरू किया है और अभी बीमारियों की जानकारी ले रहे हैं, तो आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी बीमारी के बारे में जो छूत जैसी बीमारी है. ये बीमारी है इन्फेक्शीयस लेरिंगो ट्रेकिआईटिस यानि आईएलटी.
आपका पोल्ट्री बिजनेस नुकसान में ना चले इसके लिए बीमारियों का बचाव बेहद जरूरी है. आइये जानते हैं इन्फेक्शीयस लेरिंगो ट्रेकिआईटिस बीमारी के बारे में और उसकी रोकथाम के उपायों के बारे में.
जानिए क्या है इन्फेक्शीयस लेरिंगो ट्रेकिआईटिस (आई.एल.टी.)
ये भयंकर छूतदार कण्ठरोधक और जल्द फैलने वाली सांस की बीमारी है. यह रोग रानीखेत से मिलता-जुलता है. यह अधिकतर 5-10 माह की उम्र की मुर्गियों में ज्यादा होता है.
इन्फेक्शीयस लेरिंगो ट्रेकिआईटिस के कारण
यह रोग वायरस (हर्पीज वायरस) द्वारा होता है. संक्रमित, दाना-पानी, उपकरण और रोग ग्रसित मुर्गियों के संपर्क से फैलता है. हवा के माध्यम से भी यह रोग फैलता है. ठीक हुई मुर्गी रोग का स्त्रोत बनी रहती है.
इन्फेक्शीयस लेरिंगो ट्रेकिआईटिस के लक्षण
- यह बीमारी तंत्र, अनुतीव्र और जीणे रूप में होती है.
- नासाछिद्र और आंखों से मवादयुक्त स्त्राव निकलता है.
- रोगग्रस्त पक्षी खांसते और छींकते हैं और अधिकतर रात में उन्हें सांस लेने में कठिनाई होती है.
- उग्र रूप में पक्षी हौंकते हैं. गर्दन को आगे की और बढ़ाकर सिर को ऊपर उठाकर और चोंच खोलकर मुंह से सांस लेते हैं.
- इस बीमारी के कारण पक्षी एक विशेष प्रकार की आवाज करते हैं. खांसी के साथ स्वतरंजित म्युकस बाहर आता है. अधिकांश मुर्गियां दो सप्ताह में ठीक हो जाती है.
इन्फेक्शीयस लेरिंगो ट्रेकिआईटिस का टीकाकरण
इस रोग से बचाव के लिए लाइव वैक्सीन किया जाना उपयोगी है.
जरूरी सावधानियां: पोल्ट्री फार्म में हमेशा साफ सफाई रखना बेहद जरूरी है. कभी भी बाहर से लाए गए चूजों को अपने पुराने चूजों के साथ तुरंत ना रखें. उन्हें कुछ दिन दूसरे बाड़े में रखें. हमेशा ऐसी जगह से चूजे या मुर्गियों को खरीदें जहां पिछले तीन से छह महीने में कोई बीमारी ना हुई हो.
Leave a comment